GOA के देवी मंदिर में भगदड़ में 7 की मौत और कई घायल
GOA के प्रसिद्ध लइराई देवी मंदिर में शनिवार को पारंपरिक ‘शिरगांव जात्रा’ के दौरान भीड़ बेकाबू होने से अफरातफरी मच गई। भगदड़ में कम से कम 7 लोगों की मौत हो गई है। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं।

GOA: उज्जवल प्रदेश, पणजी. गोवा (GOA) के प्रसिद्ध लइराई देवी मंदिर (Devi Temple) में शनिवार को उस समय (At) अफरातफरी (Stampede) मच गई जब पारंपरिक ‘शिरगांव जात्रा’ के दौरान भीड़ बेकाबू हो गई। भगदड़ में कम से कम 7 लोगों की मौत (7 Killed ) हो गई है, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इस घटना में 40 से अधिक लोग घायल (Many Injured) हुए हैं। सभी घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
नॉर्थ गोवा के पुलिस अधीक्षक अक्षत कौशल ने हादसे की पुष्टि करते हुए बताया कि भगदड़ के कारणों का फिलहाल पता नहीं चल सका है। बताया जा रहा है कि हर साल की तरह इस बार भी भारी संख्या में श्रद्धालु ‘शिरगांव जात्रा’ में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इसी दौरान अचानक अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ की स्थिति बन गई।घटना की जानकारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत खुद मौके पर पहुंचे और घायलों से मुलाकात की।
बता दें कि गोवा के श्रीगांव को लेकर कई कहनियां प्रचलित हैं। लइराई देवी का मंदिर होने की वजह से यहां पर शराब और अंडा तक प्रतिबंधित है। कोई किसी जानवर की हत्या नहीं कर सकता। इस गांव में घोड़े भी प्रवेश नहीं कर सकते। बड़ी संख्या में लोग लइराई देवी के दर्शन करने पहुंचते हैं।
लइराई देवी की पूजा मुख्य रूप से गोवा में की जाती है। यहां हर साल आयोजित होने वाले जात्रा को को शिरगांव जात्रा के नाम से भी जाना जाता है। यह जात्रा चैत्र मास में कई दिनों तक चलती है। इसमें लोग दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं। भक्त एक पवित्र झील में स्नान करते हैं। इससे पहले लोग व्रत और पूजा करते हैं। मंदिर से देवी की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाती है।
शिरगांव और लइराई देवी की मान्यता
लइराई देवी का मंदिर गोवा के श्रीगांव में स्थित है, जो अपनी पवित्रता और धार्मिक परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां शराब, अंडा और किसी भी जानवर की हत्या पर सख्त प्रतिबंध है। यहां तक कि घोड़ों का प्रवेश भी निषिद्ध है। ‘शिरगांव जात्रा’ चैत्र मास में आयोजित होती है और यह कई दिनों तक चलती है। इस आयोजन में श्रद्धालु दहकते अंगारों पर नंगे पैर चलते हैं और एक पवित्र झील में स्नान करते हैं। इस दौरान व्रत, पूजा और देवी की भव्य शोभायात्रा भी निकाली जाती है।