IRAN को साधकर पाकिस्तान के अंतर्राष्ट्रीय ‘KASHMIR RAAG’ की हवा निकालेगा भारत
IRAN के सुप्रीम काउंसिल फॉर कल्चरल रिवॉल्यूशन के सेक्रेटरी अब्दुल हुसैन खोसरो पाना भारत में रुके। उन्होंने कई आयोजनों में हिस्सा लिया और भारत सरकार के प्रतिनिधियों से भी मुलाकातें कीं।

IRAN : उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के मसले को पाकिस्तान (Pakistan) अंतरराष्ट्रीय लेवल पर उठाता रहता है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मंचों पर पाकिस्तान हर बार इस मसले को उठाता है और तुर्की, ईरान, मलयेशिया जैसे देशों से भी इसकी चर्चा करवाता है। अब भारत (India) ने उसकी कश्मीर राग (‘KASHMIR RAAG’) को लेकर ईदान को खुश (Appeasing) कर इस लॉबिंग को ही तोड़ने का प्रयास शुरू कर दिया है।
करीब एक सप्ताह तक ईरान (Iran) के सुप्रीम काउंसिल फॉर कल्चरल रिवॉल्यूशन के सेक्रेटरी अब्दुल हुसैन खोसरो पाना भारत में रुके।इस दौरान उन्होंने कई आयोजनों में हिस्सा लिया और भारत सरकार के प्रतिनिधियों से भी मुलाकातें कीं। इस दौरे को भारत सरकार की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है कि ईरान की राय को कश्मीर मसले पर बदला जाए। अब्दुल हुसैन खोसरो को ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह खामेनेई का करीबी माना जाता है।
खामेनेई ने बीते साल भारत को असहज करने वाला बयान देते हुए कहा था कि कश्मीर में मुस्लिमों का हाल अच्छा नहीं है। अब उनके करीबी नेता का भारत में एक सप्ताह तक रुकना बड़ी रणनीति का संकेत है। सूत्रों का कहना है कि अब्दुल हुसैन के माध्यम से भारत ईरान के शीर्ष नेता तक जम्मू-कश्मीर को लेकर संदेश देना चाहता है। ईरानी सुप्रीम लीडर तक मेसेज भेजने का सबसे अच्छा माध्यम अब्दुल हुसैन खोसरो ही थे। ऐसे में उनकी एक सप्ताह की विजिट मायने रखती है।
यदि ईरान ने जम्मू-कश्मीर के मसले पर तटस्थ रुख अपनाया और पाकिस्तान की तरफ झुकाव कम किया तो यह बड़ी सफलता होगी। बीते साल खामेनेई ने कश्मीर में मुसलमानों की हालत पर चिंता जताई थी। उससे पहले तुर्की और मलयेशिया कई बार संयुक्त राष्ट्र के मंच पर यह मसला उठा चुके थे। ऐसे में ईरान जैसे मित्र देश के शीर्ष नेता का बयान चौंकाने वाला था। माना जा रहा है कि उस स्थिति से बचाव के लिए ही सरकार ने यह फैसला लिया कि खामेनेई तक संदेश पहुंचाया जाए।
दरअसल भारत सांस्कृतिक संबंध परिषद की ओर से कार्यक्रम का आयोजन हुआ था। इसी में अब्दुल हुसैन आए थे। उनका इस कार्यक्रम से इतर ताजमहल और राजघाट का भी दौरे का प्लान था। दरअसल बीते साल सितंबर में खामेनेई ने कश्मीर को लेकर बयान दिया था। इस पर भारत ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि शायद ईरान के शीर्ष नेता को कहीं से गलत जानकारी मिली है। उनकी ओर से जो टिप्पणी की गई है, वह अस्वीकार्य है।