KAILASH MANSAROVAR YATRA पर भारत की चीन से सहमति के बाद APPLICATIONS शुरू
KAILASH MANSAROVAR YATRA का इस साल भी जून से अगस्त तक आयोजन होगा। भारत और चीन के बीच संवाद के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया।

KAILASH MANSAROVAR YATRA: उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले से लोगों के बीच आक्रोश का माहौल है। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए। इस बीच विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस साल भी कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन होगा। जून से अगस्त तक इसका आयोजन किया जाएगा। यह यात्रा बीते पांच सालों से बंद थी।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि इस साल जून से अगस्त 2025 के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन होगा। इच्छुक यात्रा कैलाश यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन (Applications) कर (Started) सकते हैं। इस साल यात्रा उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे और सिक्किम के नाथु ला दर्रे से होगी। पांच और दस बैंचों का संचालन किया जाएगा। प्रत्येक बैच में 50 यात्री शामिल होंगे। यात्रियों का चयन आवेदकों रैंडम सलेक्शन से कंप्यूटर द्वारा संचालित होगा। इसमें जेंडर बैलेंस का भी ध्यान रखा जाएगा।
चीन के साथ बनी सहमति
गलवान घाटी में भारत (India)-चीन (China) के साथ हुए संघर्ष के बाद अब दोनों देश के बीच रिश्ते सुधर रहे हैं। भारत और चीन के बीच संवाद और सहमति (Agreed) के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया। कोरोना महामारी के दौरान यात्रा पर ब्रेक लग गई थी। जिसके बाद सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हुआ। हालांकि, भारत ने इस मुद्दे को लगातार चीन के साथ कूटनीतिक स्तर पर उठाया। 2019 के बाद यह पहली बार है जब मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होगी। बीते साल, अक्टूबर (2024) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई थी। जिसके बाद सीमा तनाव घटा और यात्रा की दिशा में प्रगति हुई।
यात्रा के लिए सरकार की एडवाइजरी
विदेश मंत्रालय ने जारी बयान में इसकी जानकारी दी है। इस साल यात्रा करने वाले लोगों के लिए दो रास्ते हैं। उत्तराखंड राज्य में लिपुलेख पास से 5 जत्थे जाएंगे। हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। सिक्किम राज्य में नाथू ला पास से 10 जत्थे जाएंगे। यहां भी हर जत्थे में 50 यात्री होंगे। कुल मिलाकर, यात्रा में शामिल होने वाले लोगों के लिए सरकार ने इंतज़ाम कर दिया है।
यात्रा के लिए सरकार की एडवाइजरी
इस यात्रा में प्रतिकूल हालात, अत्यंत खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है और यह उन लोगों के लिए जोखिम भरा हो सकता है जो शारीरिक और मेडिकली तंदुरुस्त नहीं हैं। सरकार का कहना है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण अथवा किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु अथवा उसके जख्मी होने अथवा उसकी संपत्ति के खोने अथवा क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से वो जिम्मेदार नहीं होगी।
जोखिम की जिम्मेदारी खुद लें-सरकार
तीर्थयात्री यह यात्रा पूरी तरह से अपनी इच्छा शक्ति के बल पर तथा खर्च, जोखिम और परिणामों से अवगत होकर करते हैं। किसी तीर्थयात्री की सीमा पार मृत्यु हो जाने पर सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी। लिहाजा मृत्यु के मामले में चीन में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करना होता है। यह सभी जानकारी विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई है।
कहां से शुरू होगी यात्रा
यह यात्रा उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम राज्य की सरकारों और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सहयोग से आयोजित की जाती है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (एसटीडीसी) और उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के हर जत्थे के लिए सम्भारगत सहायता और सुविधाएं मुहैया कराते हैं। दिल्ली हार्ट एवं लंग इंस्टीट्यूट (डीएचएलआई) इस यात्रा के लिए आवेदकों के स्वास्थ्य स्तरों के निर्धारण के लिए चिकित्सा जांच करता है।