Astrology Tips: निमोनिया सताये तो धारण करें लहसुनिया, लाभ मिलेगा
Astrology Tips: ज्योतिष के अनुसार रत्न धारण करने से बीमारियों के साथ साथ कई समस्याओं से निजात मिलती है। लहसुनिया की बात करें तो यह एक ऐसा रत्न है जिसे धारण करने से ह्दय संबंधी रोगों से निजात मिलती है।

Astrology Tips: ज्योतिष के अनुसार रत्न धारण करने से बीमारियों के साथ साथ कई समस्याओं से निजात मिलती है। लहसुनिया की बात करें तो यह एक ऐसा रत्न है जिसे धारण करने से ह्दय संबंधी रोगों से निजात मिलती है।
कई तरह की परेशानियों का करना पड़ता है सामना
Cats Eye: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में केतु अशुभ प्रभाव देने वाला हो तो ऐसे में लहसुनिया रत्न धारण किया जा सकता है। जन्म कुंडली में केतु के ख़राब स्थिति में होने के कारण व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना।
रत्न धारण करने की सलाह
Cats eye: रत्न शास्त्र के अनुसार जमीन पर पाया जाने वाला हर रत्न किसी न किसी ग्रह से संबंधित है। रत्न शास्त्र की मानें तो रत्नों को पहनने से संबंधित ग्रहों की शुभता को कुंडली में तेजी से बढ़ाया जा सकता है। इसके अलावा कुंडली में दूषित ग्रहों को नियंत्रित करने के लिए भी रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। इन्हीं रत्नों में से एक रत्न है लहसुनिया। लहसुनिया रत्न को कैट्स आई भी बोला जाता है।
लहसुनिया रत्न के ये हैं लाभ
लहसुनिया को केतु का रत्न माना जाता है। इसलिए केतु के गलत परिणाम जानना जरूरी हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में केतु ख़राब हो तो उस व्यक्ति के कार्यों में अस्थिरता, मन विचलित रहना, आर्थिक और मानसिक परेशानियां देखने को मिलती हैं। ज्योतिष के अनुसार लहसुनिया पहननेसे केतु के गलत परिणामों से छुटकारा पाया जा सकता है।
पांचवें घर में हो तो यह अशुभ फल देने वाला होता है
यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में केतु शनि के साथ जुड़ा है तो भाव में है या पांचवें घर में हो तो यह अशुभ फल देने वाला होता है। इसके अलावा केतु शुक्र के साथ वृषभ, Cats eye मिथुन राशि में कुंडली के किसी भी घर में बैठा हो तो भी यह अशुभ फल देता है। गोचर में केतु यदि चौथे, आठवें या बारहवें भाव में हो तो ऐसे में व्यक्ति को लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है।
लहसुनिया रत्न से इन बीमारियों से मिलती है मुक्ति
लहसुनिया रत्न का कई बीमारियों में भी फायदा होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति को श्वांस से संबंधित कोई बीमारी हो या फिर निमोनिया जैसी कोई बीमारी परेशान करती है तो ऐसे में उसे लहसुनिया रत्न पहनना लाभ होगा। बताते हैं कि लहसुनिया पहनने के बाद एक माह में असर दिखाने लगता है।
इन बीमारियों के लिए है सहायक
ज्योतिष के अनुसार लहसुनिया रत्न का उपयोग कई प्रकार के गंभीर रोगों के इलाज में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बच्चे को श्वास से संबंधित कोई रोग हो या फिर निमोनिया जैसी कोई बीमारी हो, तो ऐसे में उसे लहसुनिया रत्न पहनाया जा सकता है।
लहसुनिया मध्यम उंगली में धारण करें
विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन 7, 8 या 12 रत्ती लहसुनिया मध्यम उंगली में पहनने से शुभ माना जाता है। इस रत्न को पहनने से पहले इसको गंगाजल में अच्छी तरह से धो लें। इसके बाद इसे धूप और दीप दिखाकर केतु के मंत्र “ऊं क्लां क्लीं क्लूं स: केतवे स्वाहा:” का एक माला जाप करें।
सवा रत्ती लहसुनिया, चांदी की अंगूठी
रत्न शास्त्र के अनुसार सवा रत्ती लहसुनिया, चांदी की अंगूठी या लॉकेट में जड़वाकर शनिवार के दिन पहनें। लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में ही पहनें।
लहसुनिया को पहचानें
रत्न शास्त्र के अनुसार लहसुनिया रत्न यानी Cats eye मटमैले से रंग का चमकीला प्राकृतिक रत्न होता है। इस चमकीले रत्न की बीच में इसकी बनावट बिल्ली की आंख की तरह होती है। इसी कारण इसे कैट्स आई कहा जाता है। यह कई रंग, लहसुन का रंग, पीले, काले, सफेद और हरे रंग का होता है।
यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वही लहसुनिया पहनें जिसमें कम से कम चार या इससे अधिक धारियां न हों। हालांकि बाजार में कई बार नकली रत्न बिकते नजर आते हैं। ऐसे में इसकी पहचान जरूरी है। यदि लहसुनिया को एक कपड़े से रगड़ें, अगर लहसुनिया की चमक बढ़ जाए तो समझिए लहसुनिया असली है। रत्न शास्त्र के अनुसार लहसुनिया जिसे सूट करता है उसके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।
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