Bhopal News: महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण पर प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन का भव्य आयोजन

Bhopal News: यूएन विमेन मुख्यालय की नीति विशेषज्ञ कैथरीन ट्रैवर्स ने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े नीतिगत व व्यवहारिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिला सुरक्षा केवल कागजी नीतियों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे व्यवहारिक रूप से लागू किया जाना चाहिए।

Bhopal News: उज्जवल प्रदेश, भोपाल. महिला सुरक्षा शाखा, यू.एन. विमन, पर्यटन विभाग एवं नरोन्हा प्रशासन अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में “सुरक्षित शहर एवं सार्वजनिक स्थलः रणनीतिक पूर्वानुमान और आगामी प्राथमिकताएं” विषय पर प्रथम क्षेत्रीय सम्मेलन का शुभारंभ माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मिन्टो हॉल, भोपाल में किया गया। यह सम्मेलन आर.सी.वी.पी. नरोन्हा प्रशासन एवं प्रबंधकीय अकादमी, भोपाल में आयोजित किया गया।

इस सम्मेलन में आई.जी. जबलपुर, डीआईजी उज्जैन, डीआईजी भोपाल, प्रशिक्षु उप पुलिस अधीक्षक, विभिन्न जोन से निरीक्षक/उप निरीक्षक, जनसाहस, संगिनी, उदय, आरंभ, चैतन्य, आवाज, आई.जे.एम. एवं आस जैसी स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता, पर्यटन विभाग, सैनिक कल्याण, पी.डब्ल्यू.डी., नीति आयोग, ओ.एस.सी., पी.एच.ई. विभाग, आयुष संचालनालय, एस.पी.ए. भोपाल, आयुर्वेदिक के विद्यार्थी एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रतिभागी सम्मिलित हुए। सम्मेलन में “सुरक्षित शहर एवं सार्वजनिक स्थल” विषय पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

यूएन विमेन मुख्यालय की नीति विशेषज्ञ कैथरीन ट्रैवर्स ने महिलाओं की सुरक्षा से जुड़े नीतिगत व व्यवहारिक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिला सुरक्षा केवल कागजी नीतियों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि इसे व्यवहारिक रूप से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने महिलाओं की शहरी गतिशीलता, सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन और डिजिटल सुरक्षा जैसे विषयों पर विशेष जोर दिया।

विशेष पुलिस महानिदेशक (महिला सुरक्षा शाखा) प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव ने इस सम्मेलन को महिला सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के क्षेत्रीय मंच महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। “सुरक्षित शहर एवं सार्वजनिक स्थलों” के लिए नीतिगत समन्वय आवश्यक है, जिससे सुरक्षा उपायों को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।

यूएन विमेन की प्रतिनिधि अनुपम रावत ने कहा कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और उनके साइकोसोशल समर्थन को मजबूत करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे निवेश और प्रशिक्षण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। उन्होंने कहा, “अगर सरकार हर समय रोजगार उपलब्ध नहीं करा सकती, तो यह उनके लिए एक बड़ा योगदान होगा।”

कार्यक्रम में साइबर अपराध और महिलाओं की डिजिटल गोपनीयता की रक्षा पर भी विशेष चर्चा हुई। एडीजी (साइबर क्राइम) साई मनोहर ने कहा कि “महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों में वृद्धि हो रही है, लेकिन अधिकांश मामले रिपोर्ट नहीं होते।” उन्होंने बताया कि साइबर अपराध वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं और महिलाओं की निजी तस्वीरों व वीडियो के दुरुपयोग के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने आईटी अधिनियम 2000 और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मुंबई पुलिस के एडिशनल सीपी (क्राइम) शशिकुमार मीणा ने ‘जेंडर-रिस्पॉन्सिबल पुलिसिंग’ की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि मुंबई पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए “काका” पहल चला रही है, जिससे छात्राएं खुलकर अपनी समस्याएं साझा कर सकें। इसके अलावा, “मोबाइल विक्टिम सपोर्ट यूनिट”, “मोहल्ला कमेटी” और “वन-स्टॉप सेंटर” जैसी योजनाओं को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

एडीजी (प्रशिक्षण) सोनाली मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि “महिलाओं के लिए सुरक्षित स्थान केवल भौतिक सुरक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी सुरक्षित वातावरण प्रदान करना आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे, पर्याप्त रोशनी और त्वरित पुलिस सहायता तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए।

कार्यक्रम में अनुपम रावत ने समाज में महिलाओं पर लगाई जाने वाली मानसिक और सामाजिक सीमाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महिलाओं को समान अवसर देने और उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना आवश्यक है।

कार्यक्रम का समापन जे.एन. कंसोटिया (भा.प्र.से.), अपर मुख्य सचिव (गृह), मध्यप्रदेश शासन, भोपाल द्वारा किया गया। उन्होंने महिला दिवस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह सम्मेलन महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण पर केंद्रित रहा। उन्होंने कहा कि शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के चलते सार्वजनिक स्थलों को सुरक्षित बनाना एक चुनौती है।

कानून व्यवस्था को मजबूत करने, टेक्नोलॉजी के उपयोग, शिक्षा में समानता, महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन और समावेशी नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि पुलिस, प्रशासन और समाज को मिलकर माइंडसेट बदलने, महिलाओं को आत्मरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता की ओर प्रोत्साहित करने तथा न्याय प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी बताया कि मध्य प्रदेश सरकार महिला सुरक्षा को लेकर सकारात्मक प्रयास कर रही है और “भोपाल डेक्लरेशन” जारी करने की योजना बनाई गई है, जिससे नीतिगत बदलाव लाए जा सकें और महिलाओं के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित हो सके। सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए सुझावों और अनुशंसाओं को नीतिगत निर्णय के लिए शासन को भेजा जाएगा

Deepak Vishwakarma

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