Brain-Computer Interface: अब मशीनें पढ़ेंगी इंसानों के दिमाग की बातें!
Brain-Computer Interface तकनीक से इंसानों और मशीनों का जुड़ाव अब खतरनाक मोड़ पर है। इससे इंसानी दिमाग की सोच पढ़ी जा सकती है। एलन मस्क की Neuralink इस दिशा में बड़ा कदम उठा चुकी है।

Brain-Computer Interface : उज्जवल प्रदेश डेस्क. तकनीक ने इंसानों की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। अब वैज्ञानिक ऐसे सिस्टम बना रहे हैं जो इंसानी दिमाग की सोच को पढ़ सकें और उसके अनुसार मशीन को निर्देश दे सकें। इसे ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस कहा जाता है।
क्या है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI)?
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (Brain-Computer Interface) या BCI एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक है, जिसके ज़रिए इंसानी दिमाग को सीधे किसी कंप्यूटर या मशीन से जोड़ा जा सकता है। इस सिस्टम में दिमाग की न्यूरल एक्टिविटी को डिजिटल सिग्नल में बदला जाता है, जिससे कोई भी व्यक्ति सोचते ही कंप्यूटर को कंट्रोल कर सकता है।
उदाहरण के तौर पर
अगर कोई शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति सोचता है कि उसे व्हीलचेयर को दाएं मोड़ना है, तो BCI के ज़रिए वह बिना हाथ लगाए व्हीलचेयर को मोड़ सकता है।
कैसे काम करता है ये सिस्टम?
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस की कार्यप्रणाली बेहद जटिल लेकिन अद्भुत है। इसमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
चरण 1: मस्तिष्क से सिग्नल प्राप्त करना
मस्तिष्क की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने के लिए दो तकनीकों का उपयोग किया जाता है:
- EEG (Electroencephalography): सिर पर सेंसर लगाए जाते हैं।
- इंप्लांटेड इलेक्ट्रोड: ब्रेन के अंदर सूक्ष्म इलेक्ट्रोड प्रत्यारोपित किए जाते हैं।
चरण 2: सिग्नल का विश्लेषण
जो सिग्नल मस्तिष्क से मिलते हैं, उन्हें कंप्यूटर एक एल्गोरिदम से डिकोड करता है। इससे पता चलता है कि व्यक्ति क्या सोच रहा है- जैसे “हाथ हिलाना” या “कुछ चुनना”।
चरण 3: कमांड देना
जैसे ही कंप्यूटर व्यक्ति की सोच को समझता है, वह संबंधित डिवाइस को कमांड देता है- जैसे कि एक आर्टिफिशियल हाथ को हिलाना या स्क्रीन पर कर्सर ले जाना।
AI और मशीनों से इंसानों का सीधा जुड़ाव
अब वैज्ञानिक ऐसे BCI सिस्टम पर काम कर रहे हैं, जो न केवल गतिविधियों को, बल्कि भावनाओं, निर्णयों और शब्दों को भी पहचान सकें। इसका मतलब है कि भविष्य में सिर्फ सोचने मात्र से कोई भी रोबोट, कंप्यूटर या मशीन आपकी बात समझ सकेगी और आदेश का पालन कर सकेगी।
अमेरिका और एक्सोस्केलेटन टेक्नोलॉजी
अमेरिकी सेना ने “Exoskeleton” नामक एक तकनीक विकसित की है, जो सैनिकों को असाधारण ताकत देती है। इससे वे अधिक वजन उठा सकते हैं, तेज दौड़ सकते हैं और कठिन इलाकों में काम कर सकते हैं।
अब अगला कदम
अब वैज्ञानिक उस दिशा में बढ़ रहे हैं जहां AI और इंसान आपस में जुड़कर एक सुपरह्यूमन सिस्टम बना सकें। यानी इंसान का शरीर और दिमाग मशीनों से मिलकर ज्यादा ताकतवर और सक्षम बन सके।
एलन मस्क की कंपनी Neuralink का रोल
Neuralink, एलन मस्क की कंपनी, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के क्षेत्र में सबसे आगे है। यह कंपनी ऐसे इम्प्लांटेबल चिप्स बना रही है जो इंसान के दिमाग में लगाकर सीधे कंप्यूटर से जोड़े जा सकते हैं।
Neuralink के उद्देश्य…
- लकवे के मरीजों को फिर से गतिशील बनाना
- मस्तिष्क से सीधे टाइपिंग और रोबोट कंट्रोल
- AI के साथ इंसानी सोच का मिलन
- 2024 में Neuralink ने इंसानों पर परीक्षण भी शुरू कर दिए हैं, जो भविष्य में बड़ी तकनीकी क्रांति का संकेत है।
क्या सच में पढ़े जा सकते हैं विचार?
फिलहाल, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस कुछ सीमित कार्यों तक ही सक्षम है- जैसे कि कर्सर चलाना या अंग हिलाना। लेकिन भविष्य में इसके जरिए लोगों के विचारों, निर्णयों और भावनाओं को भी समझा जा सकेगा।
रिसर्च का लक्ष्य…
- सोचते ही स्क्रीन पर टाइपिंग
- बिना बोले संवाद करना
- मानसिक बीमारियों का इलाज
संभावित खतरे भी हैं…
- दिमाग की निजता पर खतरा : अगर कोई मशीन हमारे विचार पढ़ने लगे तो हमारी निजता खतरे में पड़ सकती है।
- मानसिक नियंत्रण का डर : क्या भविष्य में कोई व्यक्ति या संस्था दूसरों के विचारों को नियंत्रित कर सकेगी?
- वैज्ञानिकों की चिंता : कई विशेषज्ञ मानते हैं कि BCI का उपयोग अगर गलत हाथों में चला गया तो यह तकनीक मानवता के लिए खतरा बन सकती है।
भविष्य की झलक
भविष्य में हो सकता है कि इंसान अपने शरीर में मशीनों का इस्तेमाल सामान्य बात मानने लगें। आर्टिफिशियल हाथ, आंखें, यहां तक कि सोचने वाली चिप्स आम हो जाएं। इस दिशा में ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक बड़ा कदम है।