RBI ने जारी की रिपोर्ट, WPI के उच्च स्तर से रिटेल इंफ्लेशन पर दबाव पड़ने का खतरा
नई दिल्ली
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को एक चेतावनी दी है। आरबीआई ने कहा कि थोक मूल्य मुद्रास्फीति (WPI) के उच्च स्तर पर रहने से रिटेल इंफ्लेशन पर दबाव पड़ने का खतरा है। अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि हाई इंडस्ट्रियल रॉ मैटेरियल प्राइस, ट्रांस्पोर्टेशन चार्ज, ग्लोबल लॉजिस्टिक और सप्लाई चैन प्रभावित होने से असर पड़ा है, जिसके कारण कोर इंफ्लेशन प्रभावित हुआ है।
कोरोना महामारी और फरवरी में शुरू हुए रूस-युक्रेन युद्ध का भी इंफ्लेशन पर काफी प्रभाव पड़ा है। इस सबसे प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट काफी बढ़ गई है, जिससे बाजार में महंगाई बढ़ी है। इसके कारण थोक और रिटेल प्राइस इंफ्लेशन पर बुरा प्रभाव पड़ा है। केंद्रीय बैंक ने नोट किया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष और इसके परिणामस्वरूप कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी ने भारत में मुद्रास्फीति को बढ़ा दिया है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें हुई कम
हालांकि, बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने हाल ही में पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की थी। साथ ही स्टील और प्लास्टिक उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क भी माफ कर दिया था। इसके अलावा सरकार ने लोहे के पार्ट्स पर निर्यात शुल्क बढ़ा दिया था।
8 साल के उच्च स्तर पर रिटेल इंफ्लेशन
ईंधन से लेकर सब्जियों और खाना पकाने के तेल तक सभी वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि ने व्होलसेल प्राइस थोक मूल्य मुद्रास्फीति को अप्रैल में 15.08 प्रतिशत के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है। रिटेल इंफ्लेशन भी लगभग आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गया है। हाई इंफ्लेशन के कारण रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में एक बैठक की थी। इस बैठक में बेंचमार्क ब्याज दर को 40 आधार अंक बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया था।