वॉलेट टू वॉलेट करेगा Digital Rupee काम, जानें क्या हैं खासियत

Digital Rupee : RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि Digital Rupee UPI से भिन्न होगा, क्योंकि UPI से होने वाला भुगतान बैंक के माध्यम से होता है जबकि Digital Currency या रुपए का भुगतान एक वैलेट से दूसरे वैलेट में होता है

Digital Rupee : मुंबई. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि डिजिटल रुपया यूपीआई से भिन्न होगा, क्योंकि यूपीआई से होने वाला भुगतान बैंक के माध्यम से होता है जबकि डिजिटल करेंसी या रुपए का भुगतान एक वैलेट से दूसरे वैलेट में होता है और इसमें किसी तीसरे की कोई भूमिका नहीं होती है। गत एक दिसंबर से आरबीआई की तरफ से डिजिटल रुपए के खुदरा इस्तेमाल का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है।

शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी से किसी को कोई खतरा नहीं है और इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। आरबीआई गर्वनर ने कहा कि होलसेल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) पर पायलट प्रोजेक्ट बहुत संतोषजनक रहा है। उन्होंने कहा कि फइक खुदरा Digital Currency के लिए चल रहे पायलट से सीख लेने और उन्हें लागू करने का इच्छुक है।

डिजिटल करेंसी को लेकर प्रवर्तन निदेशालय जैसी एजेंसियों द्वारा संभावित छापे पर एक प्रश्न का उत्तर देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि ऊ्रॅ्र३ं’ उ४११ील्लू८ के पास कागजी मुद्रा वाली गुमनामी नहीं है। बैंकों के पास डिजिटल करेंसी खरीदने वाले हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रहेगा और किसी को भी गोपनीयता की चिंताओं से डरना नहीं चाहिए।

UPI से अलग होगा Digital Rupee

आरबीआई की तरफ से यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि पेपर नोट के भुगतान के मामले में जो नियम लागू होते हैं, वहीं नियम डिजिटल रुपए के भुगतान में लागू होंगे। जैसे कि एक निश्चित सीमा के बाद डिजिटल रुपए के भुगतान पर भी पैन कार्ड देना होगा और पेपर नोट की तरह ही एक सीमा तक ही डिजिटल रुपए से भुगतान किया जा सकेगा।

दास ने कहा कि डिजिटल रुपए की प्रमुख खासियत यही होगी कि इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं होगी। उन्होंने कहा कि पेपर नोट का जब आपस में लेनदेन करते हैं तो तीसरे व्यक्ति को यह पता नहीं चलता है कि किसे रुपए दिए गए हैं क्योंकि यह सूचना बैंक के पास भी नहीं है। ऐसे ही डिजिटल रुपए में होगा।

इस तरह काम करेगी डिजिटल करेंसी

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यूपीआई के माध्यम से लेन-देन में बैंक इंटरमीडिएरीज का काम करता है। उन्होंने कहा कि पेपर नोट के लिए ग्राहक बैंक जाता है, नोट बैंक से लेता है और अपने पर्स में रखकर चला जाता है। ठीक वैसे ही, डिजिटल करेंसी के लिए ग्राहक बैंक जाएगा, करेंसी लेगा और अपने मोबाइल फोन वैलेट में रखकर चला जाएगा और उससे भुगतान कर सकेगा।

यूपीआई भुगतान एक बैंक से दूसरे बैंक में है जबकि डिजिटल रुपए से होने वाला भुगतान नकद भुगतान की तरह है। डिजिटल रुपए का भुगतान दो वैलेट के बीच होगा, इसलिए इसका पता तीसरे को नहीं चलेगा। फिलहाल देश के चार शहरों में खुदरा भुगतान के लिए डिजिटल रुपए का सीमित चलन शुरू किया गया है। चार बैंकों को डिजिटल रुपया देने के लिए अधिकृत किया गया है।

गुमनाम नहीं होगी डिजिटल करेंसी

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए शक्तिकांत दास ने कहा कि जब आप किसी अन्य व्यक्ति को करेंसी नोटों में भुगतान करते हैं तो सोर्स या पेमेंट के मकसद का पता नहीं लग पाता क्योंकि जानकारी बैंक के पास उपलब्ध नहीं होती। जबकि सीबीडीसी एक मोबाइल से किसी और के मोबाइल पर ट्रांसफर होती है। सारी चीजें रिकॉर्डेड होती हैं। लेकिन सिर्फ इसीलिए हमें यह भय या मनोविकार का शिकार नहीं होना चाहिए।

डिजिटल मुद्रा के नियम भी पेपर करेंसी की तरह

आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि आयकर विभाग के पास नकद भुगतान के लिए कुछ सीमाएं हैं। एक निश्चित सीमा से अधिक निकासी के लिए आपको अपना पैन कार्ड नंबर देना होता है। सीबीडीसी के मामले में भी यही नियम लागू होंगे, क्योंकि दोनों मुद्राएं हैं।

गोपनीयता की चिंताएं

बुधवार को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने गोपनीयता पर चिंताओं को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि आरबीआई सीबीडीसी को कागजी मुद्रा का विकल्प बनाने को लेकर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल नकदी अभी भी विकास की प्रक्रिया में है और इसके नियम कायदे तय किए जाने की जरूरत है। आपको बता दें कि आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव सहित कई विशेषज्ञों ने सीबीडीसी के गोपनीयता वाले पहलू पर चिंता व्यक्त की है।

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