8th Pay Commission के गठन पर केन्द्र ने लगाई मुहर
8th Pay Commission: केन्द्रीय कर्मियों द्वारा लंबे समय से 8वें वेतन की मांग को लेकर बार बार हड़ताल और धरना दिया जा रहा था। इन सब के बीच केन्द्र सरकार ने भी इन कर्मियों को आशवासन दिया था कि भविष्य में 8वें वेतन आयोग का गठन कर कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाएगा।

- 2026 तक आयोग सौंपेगा अपनी रिपोर्ट
- 10 साल में एक बार होता है वेतन आयोग का गठन
8th Pay Commission: केन्द्रीय कर्मियों द्वारा लंबे समय से 8वें वेतन की मांग को लेकर बार बार हड़ताल और धरना दिया जा रहा था। इन सब के बीच केन्द्र सरकार ने भी इन कर्मियों को आशवासन दिया था कि भविष्य में 8वें वेतन आयोग का गठन कर कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाएगा।
समीक्षा के बाद तय होगी वेतन की बढ़ोत्तरी
केंद्र की मोदी सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। यह केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, पेंशन और कई लाभों की समीक्षा करेगा और उसी अनुसार वेतन में बढ़ोतरी की सिफारिश करेगा। वहीं यह वेतन आयोग साल 2026 तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा ।
ये है वेतन आयोग
वेतन आयोग हकीकत में एक हाई लेवल कमेटी है। इसका गठन भारत सरकार करती है। सबसे पहले वेतन आयोग 2014 में गठित किया गया था और इसकी सिफारिशें 2016 में लागू की गई थीं। वेतन आयोग का मुख्य मकसद यह तय करना है कि आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से अधिकारी कर्मचारियों को उचित वेतन मिले। यह सरकारी कर्मचारियों के आर्थिक कल्याण के लिए सुधारों की सिफारिश करता है। इसमें कर्मचारी कल्याण की नीतियां, पेंशन, भत्ते और कई लाभों को शामिल किया गया है।
10 साल में एक बार होता है वेतन आयोग का गठन
नियमों के मुताबिक वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में एक बार किया जाता है। वैसे यह भी यह जरूरी बंदिश नहीं है। केन्द्र सरकार आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए वेतन आयोग का गठन 10 साल से पहले या बाद में भी कर सकती है। वेतन का गठन जरूरत के हिसाब से किसी भी सरकार के कार्यकाल में किया जा सकता है। इसका प्रमुख कोई न्यायाधीश अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी हो सकता है। इसके अन्य सदस्य वेतन, वित्त, अर्थशास्त्र, मानव संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों का नहीं मिलता इसका लाभ
7वें वेतन आयोग के मुताबिक, सिविल सर्विसेज के दायरे में आने वाले वे सभी कर्मचारी वेतन आयोग के दायरे में आते हैं, जिन्हें देश के कंसॉलिडेटेड फंड से वेतन मिलता है। वहीं, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (PSUs) और ऑटोनॉमस बॉडी के कर्मचारी और ग्रामीण डाक सेवक वेतन आयोग के दायरे में नहीं आते हैं। कुछ विशेष कर्मचारी, जैसे कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज भी वेतन आयोग के दायरे में नहीं आते हैं। इनके वेतन और भत्तों में अलग नियम तय होते हैं।
वेतन आयोग महंगाई दर तय करता है
वेतन आयोग कर्मचारियों के वेतन में कितनी बढ़ोतरी करेगा इसे आयोग अपनी सिफारिश में तय करेगा। इनमें महंगाई और देश की वित्तीय स्थिति पर ज्यादा फोकस रहता है। वेतन आयोग महंगाई दर पर अधिक गौर करता है कि उसमें कितनी वृद्धि हुई है और उसका कर्मचारियों की जीवनशैली पर क्या पड़ा है। वह उसी हिसाब से अपनी सिफारिश देता है।
वेतन आयोग इस तरह की सिफारिशें करता है?
- कर्मचारियों के मौजूदा वेतन में वृद्धि
- मिलने वाली पेंशन योजना में सुधार करना
- कामकाजी परिस्थितियों में सुधार करना
- नए केंद्रीय कर्मचारियों के लिए भर्ती प्रक्रिया और वेतन संरचना में सुधार करना
- कर्मचारियों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम की सिफारिशें करना