मुख्यमंत्री आवासीय भू अधिकार योजना : झाबुआ में केवल 3% लोगों को ही मिला लाभ
Chief Minister's Residential Land Rights Scheme : CM शिवराज सिंह प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में बसे ग्रामीण रहवासियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देना चाहते है।

Chief Minister’s Residential Land Rights Scheme : उज्जवल प्रदेश, भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में बसे ग्रामीण रहवासियों को उनकी जमीन का मालिकाना हक देना चाहते है। उसपर वे कर्ज ले सके, उसकी खरीदी-बिक्री कर सके इसके लिए मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना और मुख्यमंत्री नगरीय भू अधिकार योजना शुरु की गई थी, लेकिन कलेक्टर इसमें रुचि नहीं ले रहे है हालात यह है कि प्रदेश के पच्चीस जिलों में योजना का पचास फीसदी से अधिक क्रियान्वयन नहीं हो पाया है।
पूरे प्रदेश में इन दोनो योजनाओं में अभी तक केवल 57 फीसदी ही योजना का क्रियान्वयन हुआ है। मुख्यमंत्री आवासीय भू अधिकार योजना के क्रियान्वयन में सबसे पीछे झाबुआ जिला है। यहां केवल तीन फीसदी लोगों को ही सीएम आवासीय भू अधिकार योजना के प्रमाणपत्र वितरित हो पाए है। राजगढ़ में 8 और सीहोर में 11 फीसदी लोगों को ही योजना का लाभ मिल पाया है। देवास में सत्रह प्रतिशत तो अलीराजपुर में बीस प्रतिशत लोगों को ही योजना का लाभ मिल पाया है।
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बुरहानपुर, खंडवा,धार, दमोह, हरदा और उमरिया जिले में बीस से तीस फीसदी लोगों को ही योजना का लाभ मिल पाया है। उज्जैन, पन्ना, रीवा, छतरपुर, सतना, गुना, आगर-मालवा, दतिया और इंदौर में 32 से 40 फीसदी लोगों को योजना का लाभ मिल पाया है। वहीं मुरैना, नरसिंहपुर, शाजापुर, विदिशा, सिवनी में 42 से 50 फीसदी लोगों को इस योजना का लाभ मिल पाया है। गौरतलब हैकि प्रदेश के 52 जिलों में मुख्यमंत्री आवासीय भू अधिकार योजना में एक लाख 90 हजार 40 लोगों ने योजना का लाभ लेने के लिए पंजीयन कराया था। इसमें से 22 हजार 182 लोगों को योजना का लाभ मिल गया है।
बेहतर काम वाले ये है टॉप फाइव जिले
सीधी, बालाघाट, भोपाल, निवाड़ी और बैतूल जिलों ने योजना का शत प्रतिशत क्रियान्वयन कर प्रदेश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है। वहीं ग्वालियर, राजगढ़, रीवा, खंडवा और बुरहानपुर जिलों का निम्न प्रदर्शन रहा है। पात्र पाए गए परिवारों के विरुद्ध अंतिम निराकरण करने में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों में अशोकनगर ने 159 प्रतिशत मामलों का निराकरण किया है। सीधी, टीकमगढ़, बालाघाट और शिवपुरी ने भी बेहतर काम किया है।
योजना के क्रियान्वयन में टॉप फाइव जिले
देवास 98 फीसदी मामलों का निराकरण कर अव्वल रहा है। रतलाम में 97, देवास और अलीराजपुर में 96 फीसदी और सिवनी में 94 फीसदी काम हुआ है। वहीं जो पांच जिले पीछे रहे है उनमें निवाड़ी में केवल सात प्रतिशत काम हुआ है। भिंड में तेरह, गुना में 17, छतरपुर और शहडोल में बीस-बीस प्रतिशत मामलों का निराकरण ही हो पाया है।