रामचरित मानस की चौपाईयां अर्थ सहित पढ़ें रोज, आज इकतालीसवां दिन

Ramcharit Manas: गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित 'श्रीरामचरितमानस' चौपाई अर्थ सहित उज्जवल प्रदेश (ujjwalpradesh.com) आपके लिए लेकर आ रही हैं।

Ramcharit Manas: गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ की 8 चौपाई और 2 दोहे अर्थ सहित उज्जवल प्रदेश (ujjwalpradesh.com) आपके लिए लेकर आ रहा हैं। हम रोजाना गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ की 8 चौपाई और 2 दोहे लेकर आ रहे हैं । वही उज्जवल प्रदेश (ujjwalpradesh.com) एक नई पहल कर रही हैं जिसके माध्यम से आप सभी को संपूर्ण ‘श्रीरामचरितमानस’ पढ़ने का लाभ मिलें।

श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) में जिनके पाठ से मनुष्य जीवन में आने वाली अनेक समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। वैसे तो संपूर्ण रामायण का पाठ करने से हर तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है, आप चाहे तो हमारे साथ जुड़कर रोजाना पाठ करें और संपूर्ण रामायण का पुण्य फल भी कमाएं। आज हम आपके लिए लेकर आए हैं गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ रामायण के प्रथम सोपान बालकांड के दोहा और चौपाई और भावार्थ

आज श्रीरामचरित मानस की 10 चौपाईयां | Today 10 Chaupais of Ramcharit Manas

दोहा
सिव अपमानु न जाइ सहि हृदयँ न होइ प्रबोध।
सकल सभहि हठि हटकि तब बोलीं बचन सक्रोध॥63॥

भावार्थ: परन्तु शिवजी का अपमान सहने योग्य नहीं था, इस कारण उनके हृदय को कुछ भी प्रबोध न हुआ। तब सारी सभा को सुनाकर सती क्रोध के साथ यह बचन बोलीं।।63।।

चौपाई
सुनहु सभासद सकल मुनिंदा। कही सुनी जिन्ह संकर निंदा॥
सो फलु तुरत लहब सब काहूँ। भली भाँति पछिताब पिताहूँ॥1॥

भावार्थ: हे सभासदों ! सुनो, जिन लोगों ने श्रीशिवजी की निन्दा सुनी और कही है, वे लोग उसका फल तुरन्त पायेंगे और हे पिताजी ! तुम भी भली-भाँति पछताओगे।

संत संभु श्रीपति अपबादा। सुनिअ जहाँ तहँ असि मरजादा॥
काटिअ तासु जीभ जो बसाई। श्रवन मूदि न त चलिअ पराई॥2॥

भावार्थ: क्योंकि जहाँ सन्त, शिवजी और भगवान् विष्णु की निन्दा सुनाई पड़े, वहाँ ऐसी मर्यादा है कि अपनी सामर्थ्य हो तो उसकी जीभ काट ले और बस न चले तो कान बन्द करके वहाँ से चल दे।

जगदातमा महेसु पुरारी। जगत जनक सब के हितकारी॥
पिता मंदमति निंदत तेही। दच्छ सुक्र संभव यह देही॥3॥

भावार्थ: श्रीमहादेवजी जगत् की आत्मा और संसार को उत्पन्न करनेवाले सर्वसाधारण के हितकारी हैं। यह मेरा मन्दमति पिता उनकी निन्दा करता है, जिसके अंश से मेरा शरीर पैदा हुआ है।

तजिहउँ तुरत देह तेहि हेतू। उर धरि चंद्रमौलि बृषकेतू॥
अस कहि जोग अगिनि तनु जारा। भयउ सकल मख हाहाकारा॥4॥

भावार्थ: इसलिए चन्द्रमा को सिर पर धारण करनेवाले वृषकेतु शिवजी को हृदय में धारण करके तुरन्त इस देह को उनके लिए त्याग दूँगी। ऐसा कहकर सती ने अपना शरीर योगानल में भस्म कर दिया, यह देखकर सम्पूर्ण यज्ञ मण्डप में कोलाहल होने लगा।

दोहा
सती मरनु सुनि संभु गन लगे करन मख खीस।
जग्य बिधंस बिलोकि भृगु रच्छा कीन्हि मुनीस॥64॥

भावार्थ: दोहा सतीजी का मरना सुनकर श्रीमहादेवजी के गण यज्ञ को विध्वंस करने लगे। तब यज्ञ को विध्वंस होते देख मुनीश्वर भृगु ने उसकी रक्षा की।।64।।

चौपाई
समाचार सब संकर पाए। बीरभद्रु करि कोप पठाए॥
जग्य बिधंस जाइ तिन्ह कीन्हा। सकल सुरन्ह बिधिवत फलु दीन्हा॥1॥

भावार्थ: यह समाचार जब श्रीमहादेवजी को मिला तो उन्होंने कुपित होकर अपने गण वीरभद्र को भेजा। उन्होंने जाकर यज्ञ को विध्वंस कर दिया और सारे देवताओं को यथायोग्य फल दिया।

भै जगबिदित दच्छ गति सोई। जसि कछु संभु बिमुख कै होई॥
यह इतिहास सकल जग जानी। ताते मैं संछेप बखानी॥2॥

भावार्थ: और दक्ष की वही संसारविदित गति हुई जैसी एक शम्भु-विमुख की होती है। इस इतिहास को सभी लोग जानते हैं, इसलिए मैंने संक्षेप ही में कहा है।

सतीं मरत हरि सन बरु मागा। जनम जनम सिव पद अनुरागा॥
तेहि कारन हिमगिरि गृह जाई। जनमीं पारबती तनु पाई॥3॥

भावार्थ: सती ने मरते समय भगवान् विष्णु से यह वर माँगा था कि जन्म-जन्म में श्रीमहादेवजी के चरणों में मेरा अनुराग बना रहे। इस कारण उन्होंने हिमाचल के घर जाकर पार्वती का शरीर धारणकर जन्म लिया।

जब तें उमा सैल गृह जाईं। सकल सिद्धि संपति तहँ छाईं॥
जहँ तहँ मुनिन्ह सुआश्रम कीन्हे। उचित बास हिम भूधर दीन्हे॥4॥

भावार्थ: जब से पार्वती हिमाचल के घर जाकर उत्पन्न हुईं, तब से सिद्धियों ने आकर वहाँ बास क लिया। जहाँ-तहाँ मुनियों ने शोभायमान आश्रम बनाये और हिमाचल ने उनको उचित स्थान दिया।

Deepak Vishwakarma

दीपक विश्वकर्मा एक अनुभवी समाचार संपादक और लेखक हैं, जिनके पास 13 वर्षों का गहरा अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं में कार्य किया है, जिसमें समाचार लेखन, संपादन और कंटेंट निर्माण प्रमुख हैं। दीपक ने कई प्रमुख मीडिया संस्थानों में काम करते हुए संपादकीय टीमों का नेतृत्व किया और सटीक, निष्पक्ष, और प्रभावशाली खबरें तैयार कीं। वे अपनी लेखनी में समाजिक मुद्दों, राजनीति, और संस्कृति पर गहरी समझ और दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। दीपक का उद्देश्य हमेशा गुणवत्तापूर्ण और प्रामाणिक सामग्री का निर्माण करना रहा है, जिससे लोग सच्ची और सूचनात्मक खबरें प्राप्त कर सकें। वह हमेशा मीडिया की बदलती दुनिया में नई तकनीकों और ट्रेंड्स के साथ अपने काम को बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

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