Desh News: उपराष्ट्रपति धनखड़ बोले-‘ELECTED REPRESENTATIVE ही तय करेंगे संविधान, संसद SUPREME है’

Desh News: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संबोधन में कहा है कि संविधान क्या होगा? इसे अंतिम रुप से तय करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि हीं होंगे और इससे ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि संसद सुप्रीम संस्था है।

Desh News: उज्जवल प्रदेश, नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति (Vice President) जगदीप धनखड़ (Dhankhar) ने अपने एक नए संबोधन में कहा है कि संविधान के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। संविधान (Constitution) क्या होगा? इसे अंतिम रुप से तय (Decide) करने वाले निर्वाचित (ELECTED) प्रतिनिधि (REPRESENTATIVES) हीं होंगे और इससे ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं होगा। उन्होंने कहा कि संसद (Parliament) सुप्रीम (Supreme) संस्था है (Is)।

राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान के पद औपचारिक या सजावटी हो सकते हैं। मेरे हिसाब से नागरिक सर्वोच्च है। हर किसी की अपनी भूमिका होती है। उपराष्ट्रपति ने एक बार फिर संविधान कोर्ट की आलोचना की और सुप्रीम कोर्ट द्वारा संविधान की प्रस्तावना को लेकर व्याख्याओं में असंगति पर सवाल उठाया।

जगदीप धनखड़ ने कहा, “एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है (गोलकनाथ मामला)। दूसरे मामले में उसने कहा कि यह संविधान का हिस्सा है (केशवानंद भारती)। बता दें कि गोलकनाथ केस में संसद अनुच्छेद 368 के तहत मौलिक अधिकारों को संशोधित या समाप्त नहीं कर सकती, क्योंकि मौलिक अधिकार संविधान का अभिन्न हिस्सा हैं। यानी कि संसद को मौलिक अधिकारों में कटौती करने का अधिकार नहीं है।

केशवानंद भारती केस में सर्वोच्च न्यायालय की 13 जजों की संविधान पीठ ने 7:6 के बहुमत से फैसला दिया कि संसद अनुच्छेद 368 के तहत संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित कर सकती है, लेकिन यह संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) को नष्ट नहीं कर सकती। मूल संरचना में संविधान की सर्वोच्चता, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संघीय ढांचा, शक्ति पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, और मौलिक अधिकारों का सार शामिल है।

25 जून 1975 लोकतंत्र का काला दिन

उपराष्ट्रपति ने देश में आपातकाल का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि 25 जून 1975 हमारे लोकतंत्र का काला दिवस था। इस दिन देश की सर्वोच्च अदालत ने 9 उच्च न्यायालयों की सलाह की अवहेलना की। जगदीप धनखड़ ने कहा कि आपातकाल के दौरान लोगों ने सर्वोच्च बलिदान दिया, लेकिन सौदेबाजी नहीं की। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र अभिव्यक्ति और संवाद से ही पनपता है। अगर अभिव्यक्ति के अधिकार का गला घोंटा जाता है, तो लोकतंत्र खत्म हो जाता है। और अगर अभिव्यक्ति के अधिकार पर अहंकार हो जाता है, तो वह हमारी सभ्यता के अनुसार अभिव्यक्ति नहीं है

संवैधानिक पद औपचारिक या सजावटी हो सकते हैं

दिल्ली विश्वविद्यालय संविधान के 75  वर्ष लागू होने के उपलक्ष्य पर आयोजित कार्यक्रम ‘कर्तव्यम’ को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि- संस्कृत में कर्तव्य का अर्थ है कर्तव्य। हमारे संविधान निर्माता ने ऐसा संविधान दिया जिसमें टकराव से बचा जा सके। उन्होंने संविधान में मौजूद कुछ ऐसे पदों की ओर इशारा किया जिन्हें आम तौर पर सजावटी कहा जाता है।

जगदीप धनखड़ ने कहा, “संवैधानिक पद औपचारिक या सजावटी हो सकते हैं। मेरे अनुसार, एक नागरिक सर्वोच्च है। हर किसी की भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा नहीं है (गोलकनाथ मामला) दूसरे मामले में उसने कहा कि यह संविधान का हिस्सा है (केशवानंद भारती)।

संसद ही सुप्रीम है

उन्होंने कहा कि संविधान के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए। संविधान क्या होगा? इसे अंतिम रुप से तय करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि ही होंगे और इससे ऊपर कोई अथॉरिटी नहीं होगा। संसद सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र सहभागी है। डॉ. अंबेडकर ने माना कि स्वतंत्रता के लिए जिम्मेदारियों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि मौलिक कर्तव्य मूल रूप से संविधान में नहीं थे। इसलिए 42वें संविधान संशोधन द्वारा हमने अनुच्छेद 51A पेश किया।

शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 86वें संशोधन द्वारा एक और कर्तव्य जोड़ा गया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रवाद के लिए ऐसी प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है जिसमें मिलावट न की जा सके। हमारा संविधान हजारों वर्षों से हमारी सभ्यता के सिद्धांतों को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र बातचीत में जीता है और बातचीत में सभी बराबर हैं। लोकतंत्र की सेहत बातचीत की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। अगर बातचीत को पैसे वालों, विदेशी हितों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, तो क्या होगा? हमें पक्षपात से ऊपर उठना होगा।

Ramesh Kumar Shaky

रमेश कुमार शाक्य एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास 22 वर्षों से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई प्रतिष्ठित समाचार संगठनों के साथ काम किया और… More »

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