DUNKEY ROOT: अमेरिका से लौटते समय पनामा में फंसे INDIANS जल्द होंगे RELEASED
DUNKEY ROOT: अमेरिका से निकाले जाने के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय सहित अन्य लौटते समय पनामा में फंस गए थे।

DUNKEY ROOT: उज्जवल प्रदेश, वाशिंगटन. अमेरिका (America) से निकाले जाने के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय (INDIANS) सहित अन्य लौटते समय (Returning From) पनामा में फंस (Stranded In Panama) गए थे। लोग कागज के टुकड़ों पर संदेश लिखकर और इशारों से मदद की गुहार लगा रहे थे। होटल को ही हिरासत केंद्र में बदल दिया गया और एशियाई देशों के बहुत सारे लोग इसी में फंस गए। कई हफ्तों तक चले मुकदमों और मानवाधिकार आलोचना के बाद पनामा ने अमेरिका से निर्वासित किए गए अनेक प्रवासियों को शनिवार को रिहा (RELEASED) कर दिया, जिन्हें एक दूरदराज के शिविर में रखा गया था। जल्द (Soon) ही रिलीज्ड किया जाएगा।
इसने कहा कि इन लोगों के पास यह देश छोड़ने के लिए 30 दिन का समय है। निर्वासन में तेजी लाने के प्रयास के तहत अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने पनामा तथा कोस्टा रिका के साथ एक समझौता किया था। इसी समझौते के तहत अमेरिका से अवैध प्रवासियों को इन देशों में निर्वासित किया गया जिनमें अधिकतर एशियाई देशों से हैं। इस समझौते ने मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को उस वक्त और बढ़ा दिया है जब पनामा सिटी के एक होटल में हिरासत में रखे गए सैकड़ों निर्वासितों ने मदद की गुहार लगाते हुए अपनी खिड़कियों पर पत्र लटकाए और कहा कि वे अपने ही देश लौटने से डरे हुए हैं।
शरणार्थी संबंधी अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत, लोगों को उत्पीड़न से बचने के लिए शरण लेने के लिए आवेदन करने का अधिकार है। लेकिन, अपने देश लौटने से इनकार करने वालों को कोलंबिया से सटी पनामा की सीमा के पास एक दूरस्थ शिविर में भेज दिया गया था जहां उन्हें कई सप्ताहों तक बदतर हालत में रखा गया, उनके फोन छीन लिए गए जिससे वे कानूनी सहायता लेने में असमर्थ हो गए और उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें आगे कहां ले जाया जाएगा। वकीलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा है कि पनामा और कोस्टा रिका निर्वासितों के लिए ‘ब्लैक होल’ बनते जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों को लेकर लगातार बढ़ती आलोचना के बीच अपना पल्ला झाड़ने के लिए पनामा के अधिकारियों ने निर्वासितों को रिहा कर दिया है जिससे वे अधर में लटक गए हैं। बताया गया था कि पनामा के होटल में भारत, चीन ,वियतनाम, तुर्की, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका और ईरान के 299 प्रवासी थे जिसमें से 171 ही अपने देश जाने को तैयार थे। वहीं भारतीय दूतावास ने बताया था कि भारतीय प्रवासी होटल में सुरक्षित थे।