अभिनेत्री वहीदा रहमान होंगी दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित

Waheeda Rehman: दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से दिग्गज बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान को सम्मानित किया गया है। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक ट्वीट करके उनकी उपलब्धियों के बारे में लिखा है।

दिग्गज बॉलीवुड एक्ट्रेस वहीदा रहमान को ‘दादा साहेब फाल्के’ सम्मान दिया गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोशल मीडिया पोस्ट करके यह घोषणा की, कि मनोरंजन जगत में अद्वितीय योगदान के लिए वहीदा रहमान जी को इस लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

अनुराग ठाकुर ने ट्वीट करके किया ऐलान

अनुराग ठाकुर ने अपने ट्वीट में लिखा, “मैं यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी और सम्मान महसूस कर रहा हूं कि वहीदा रहमान जी को भारतीय सिनेमा में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए इस साल प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। वहीदा जी को हिंदी फिल्मों में उनकी भूमिकाओं के लिए क्रिटिक्स से खूब तारीफें मिली हैं। प्यासा, कागज के फूल, चौदहवी का चांद, साहेब बीवी और गुलाम, गाइड, खामोशी जैसी कई फिल्मों के लिए।”

फिल्मों में 5 दशक से ज्यादा का योगदान

अनुराग ठाकुर ने अपने ट्वीट में लिखा, “अपने 5 दशक से भी लंबे करियर में उन्होंने अपने किरदारों को बेहद खूबसूरती से निभाया। जिसके चलते फिल्म ‘रेशमा’ और ‘शेरा’ में एक कुलवधू का किरदार निभाने के लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित, वहीदा जी ने एक भारतीय नारी के समर्पण, प्रतिबद्धता और शक्ति का उदाहरण दिया है, जो अपनी कड़ी मेहनत से प्रोफेशनल एक्सीलेंस के उच्चतम स्तर को हासिल कर पाईं।”

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अग्रणी महिलाओं के लिए सच्ची श्रद्धांजलि

अनुराग ठाकुर ने लिखा, “ऐसे समय में जब संसद द्वारा ऐतिहासिक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पारित किया गया है, उन्हें इस लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया जाना भारतीय सिनेमा की अग्रणी महिलाओं में से एक के लिए एक यह एक सच्ची श्रद्धांजलि है।” अनुराग ठाकुर ने लिखा कि वहीदा रहमान ने फिल्मों के बाद अपना जीवन परोपकार के लिए समर्पित कर दिया उन्हें मैं दिल से शुभकामनाएं देता हूं और मैं उन्हें बधाई देता हूं।

वहीदा रहमान के बारे में

  • वहीदा रहमान (Waheeda Rehman) 1937 में पैदा हुईं, और 1955 में तेलुगु फिल्म रोजुलु मारायि (Rojulu Marayi) में कैमियो के साथ फिल्मी करियर की शुरुआत की ।
  • वहीदा रहमान ने हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, बंगाली, सिंहली और नेपाली समेत कई भाषाओं में 100 से अधिक सिनेमा में काम किया ।
  • वहीदा रहमान को प्यासा, कागज़ के फूल, साहेब, बीवी, और गुलाम, कला पानी, कला बाज़ार, सोल्वा साल, सुहागन, तीसरी कसम, तीसरी मंज़िल, नील कमल, कोहरा, कोहि-मिल-गया, प्रेम पुजारी, रेशमा-और-शेरा, and many more ।
  • वहीदा रहमान को 1966 में film Reshma Aur Shera में a gypsy girl के role के लिए National Film Award for Best Actress मिला।
  • 1971 में, Waheeda Rehman married actor and filmmaker Shashi Rekhi, who was known by his screen name Kamaljeet. He was her co-star in the film Shagun (1964). They had two children, a son named Sohail and a daughter named Kashvi. Shashi Rekhi died of a heart attack in 2000 ।
  • वहीदा रहमान को 1972 में Padma Shri और 2011 में Padma Bhushan से सम्मानित किया गया ।
  • वहीदा रहमान ने 2007 में अपनी autobiography The Quintessential Actor प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने अपने फिल्मी सफर, परिवार, और सामाजिक कार्यों के बारे में लिखा ।
  • वहीदा रहमान को 2023 में प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है, जो भारतीय सिनेमा के लिए सर्वोच्च सम्मान है।

दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से अभी तक कौन-कौन सम्मानित हुआ

  • दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना 1969 में हुई, और पहला पुरस्कार अभिनेत्री देविका रानी को 17वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के समारोह में प्रदान किया गया।
  • 2023 में, प्रतिष्ठित पुरस्कार को अभिनेत्री रेखा को “फिल्म उद्योग में उत्कृष्ट योगदान” के लिए प्रदान किया गया, जो 180 से अधिक फिल्मों में काम कर चुकी हैं, और 2010 में पद्म श्री से सम्मानित हुईं3 ।
  • 1969 से 2023 तक, 55 पुरस्कार प्रदान किए गए हैं, जिनमें 42 पुरुष, 13 महिला, और 1 संस्था (प्रसार भारती) हैं।
    पुरस्कार प्राप्तकर्ता को 10 लाख रुपये, स्वर्ण कमल, और कंकनी (shawl) मिलते हैं।
  • पुरस्कार प्रति-सन् (annually) प्रस्तुत किए जाते हैं, परंतु 1971, 1987, 1990, 1993, 2000, 2018, and 2020 में कोई पुरस्कार प्रस्तुत नहीं किए गए।
  • पुरस्कार के लिए चयन समिति का गठन भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित हस्तियों से किया जाता है, जो भारतीय सिनेमा के विभिन्न क्षेत्रों से होते हैं।
  • पुरस्कार का नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के (Dhundiraj Govind Phalke) के बाद रखा गया है, जो “भारतीय सिनेमा के पितामह” के रूप में माने जाते हैं, और 1913 में भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र (Raja Harishchandra) को निर्देशित किया था।

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