इंडिगो के संचालक गंगवाल फैमिली ने 11,385 करोड़ में बेची 5.7% हिस्सेदारी

IndiGo Airline Deal: देश की अग्रणी एयरलाइन 'इंटरग्लोब एविएशन' जो इंडिगो का संचालन करती है, उसके सह-संस्थापक राकेश गंगवाल और उनके पारिवारिक ट्रस्ट ने मंगलवार को एक बड़ी ब्लॉक डील के तहत कंपनी में अपनी 5.7% हिस्सेदारी बेच दी। इस लेन-देन का कुल मूल्य लगभग 11,385 करोड़ रुपये (लगभग 1.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा।

IndiGo Airline Deal: उज्जवल प्रदेश, दिल्ली: भारत की अग्रणी एयरलाइन इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड इंडिगो के प्रमोटर राकेश गंगवाल और उनके पारिवारिक ट्रस्ट ने मंगलवार को एक प्रमुख ब्लॉक डील के तहत अपनी 5.7% हिस्सेदारी बेच दी। इस डील का कुल मूल्य लगभग ₹11,385 करोड़ (लगभग 1.33 अरब अमेरिकी डॉलर) रहा।

इंडिगो डील की प्रमुख बातें:

यह सौदा ₹5,175 प्रति शेयर के फ्लोर प्राइस पर किया गया, जो पिछले कारोबारी दिन के बंद भाव ₹5,420 से लगभग 4.5% कम था।कुल 2.2 करोड़ इक्विटी शेयर बेचे गए, जबकि शुरुआती योजना 1.32 करोड़ शेयरों की थी। इस डील में शामिल हिस्सेदारी का मूल्य पहले 803 मिलियन डॉलर (₹6,831 करोड़) आंका गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 1.33 अरब डॉलर (₹11,385 करोड़) किया गया। यह बिक्री BSE और NSE पर कई चरणों में पूरी की गई है।

शामिल संस्थाएं और ट्रस्ट:

चिंकार्पू फैमिली ट्रस्ट, जिसमें शोभा गंगवाल और जेपी मॉर्गन ट्रस्ट कंपनी (डेलावेयर) ट्रस्टी हैं, ने भी अपनी हिस्सेदारी बेचने की घोषणा की है। इस हिस्सेदारी बिक्री में गोल्डमैन सैक्स इंडिया, मॉर्गन स्टेनली इंडिया और जेपी मॉर्गन इंडिया को प्लेसमेंट एजेंट नियुक्त किया गया।

लॉक-अप अवधि और विशेष शर्तें:

विक्रेताओं और उनके संबंधियों पर 150 दिनों का लॉक-अप पीरियड लागू होगा। हालांकि, कुछ शर्तों के अधीन, वे किसी एकल निवेशक को 300 मिलियन डॉलर या अधिक मूल्य के शेयर प्राइवेट डील के तहत ट्रांसफर कर सकते हैं।

हिस्सेदारी बिक्री की पिछली प्रमुख घटनाएं:

  • अगस्त 2024: 5.24% हिस्सेदारी ₹9,549 करोड़ में बेची गई
  • मार्च 2024: नई हिस्सेदारी बिक्री
  • सितंबर 2022: 2.74% हिस्सेदारी ₹2,005 करोड़ में
  • फरवरी 2023: शोभा गंगवाल ने 4% हिस्सेदारी ₹2,944 करोड़ में बेची
  • अगस्त 2023: लगभग 2.9% हिस्सेदारी ₹2,800 करोड़ से अधिक में बेची

यह पूरी प्रक्रिया फरवरी 2022 से शुरू हुई, जब राकेश गंगवाल ने सह-संस्थापक राहुल भाटिया के साथ कॉर्पोरेट गवर्नेंस से जुड़े मतभेदों के चलते इंडिगो में अपनी हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम करने का निर्णय लिया।

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