चीन की मिलिट्री एजेंसी पर US का प्रतिबंध, निशाने पर रूस

अमेरिका ने चीन की एक मिलिट्री एजेंसी और इसके निदेशक पर रूस से रक्षा उपकरण खरीदने के आरोप में प्रतिबंध लगा दिया है। चीनी की मिलिट्री एजेंसी पर यह प्रतिबंध अमेरिका के एक कानून का उल्लंघन करने के लिए लगाया है। उस पर आरोप है कि अमेरिकी कानून का उल्लंघन करके रूस की हथियार निर्यातक कंपनी से डील की। अमेरिका के गृह मंत्रालय के अधिकारी ने यह भी बताया कि 2017 में चीन ने 10 सुखोई-35 लड़ाकू विमान और 2018 में एस-400 जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल खरीदी थी। इस खरीदारी की वजह से ही प्रतिबंध लगाया गया है। इस प्रतिबंध के बाद अब चीन की एजेंसी अमेरिका के अधिकारक्षेत्र में निर्यात लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं कर पाएगी और न ही फॉरेन एक्सचेंज ट्रांजेक्शन में हिस्सा ले पाएगी। 
 
अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट यानी गृह मंत्रालय ने कहा है कि वह जल्द ही चीन की मिलिट्री एजेंसी इक्विपमेंट डिवेलपमेंट डिपार्टमेंट और इसके डायरेक्टर ली शांगफु पर प्रतिबंध लगाएगा। चीन की इस मिलिट्री एजेंसी के जिम्मे डिफेंस टेक्नॉलजी की देखरेख है। अमेरिका का आरोप है कि चीन की इस मिलिट्री एजेंसी ने रूस की मुख्य हथियार निर्यातक कंपनी रॉसबॉरोनएक्सपोर्ट (Rosoboronexport) से अहम डील की है। 

दरअसल अमेरिका में 2017 में काउंटरिंग अमेरिकाज अडवर्सरजी थ्रू सैंक्शंस ऐक्ट (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act-CAATSA) काटसा लागू किया गया था। इस कानून के माध्यम से ईरान, उत्तरी कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस कानून में रूस से रक्षा उपकरणों की खरीदारी को प्रतिबंधित किया गया है। इस कानून के तहत ट्रंप प्रशासन ने रूस की मिलिट्री और इंटेलिजेंस से जुड़े 33 लोगों और कंपनियों पर को ब्लैकलिस्ट में डाल रखा है। उससे किसी तरह की डील करने वालों पर अमेरिका कानून के प्रावधान के मुताबिक कार्रवाई कर सकता है। 

निशाने पर चीन नहीं रूस
अमेरिका के गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'इन प्रतिबंधों का असल निशाना रूस है। वास्तव में इस कानून की मदद से अमेरिका किसी खास देश की रक्षा क्षमता को कमजोर नहीं करना चाहता है बल्कि इस कानून का मकसद है कि रूस को उसकी ओछी गतिविधियों के लिए कीमत चुकानी पड़े।' दरअसल, ट्रंप प्रशासन पर दबाव है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी की उन रिपोर्ट्स पर कार्रवाई करे जिसमें कहा गया है कि रूस अमेरिका की राजनीति में हस्तक्षेप कर रहा है। अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने बार-बार ट्रंप प्रशासन से मॉस्को के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आह्वान किया है। 
 

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