बल्जिंग डिस्क जानें क्या है यह बीमारी

हड्डियों की कई प्रॉब्लम्स ऐसी हैं, जिनमें आपको बेहद दर्द सहना पड़ता है। इसी में से एक है बल्जिंग डिस्क। क्या है बल्जिंग डिस्क, जानिए आप भी…

यह बीमारी रीढ़ की हड्डी से शुरू होती है, जो धीरे-धीरे शरीर के बाकी अंगों तक पहुंच जाती है और शरीर के बाकी अंगों में भी दर्द होने लगता है।

हर्नियेटेड डिस्क भी कहा जाता है
इस बीमारी में मसल्स धीरे- धीरे कमजोर होती जाती हैं। इस बीमारी को हर्नियेटेड डिस्क के नाम से भी जाना जाता है। इसका सीधा असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। एक समय बाद इससे बाकी अंगों में भी दर्द होना शुरू हो जाता है।

दो तरह की होती है
यह प्रॉब्लम दो तरह की हो सकती है।

1 अगर हर्नियेटेड डिस्क लोअर बैक में है, तो इसका दर्द हिप्स के साथ-साथ जांघों में होता है।

2 अगर यह परेशानी गर्दन में है, तो कंधे और हाथ में भी इसका दर्द बढ़ने लगता है।

क्या होती है वजह?
यह आमतौर पर उन लोगों को ज्यादा होती है, जिनका फिजिकल मूवमेंट कम होता है। दूसरी वजह इसका हड्डी की चोट लगना, वेट ज्यादा होना वगैरह है। फैमिली हिस्ट्री भी इस प्रॉब्लम को बढ़ाने में खास भूमिका निभाती है।

कैसे करें इलाज
शरीर के ऊपरी या फिर निचले हिस्से में बल्जिंग डिस्क की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टरी जांच बहुत जरूरी है। डॉक्टरी की सलाह से बिना देर किए दवाएं शुरू कर देना चाहिए। कई बार बीमारी गंभीर रूप से बढ़ जाने पर इसकी सर्जरी भी करवानी पड़ती है। फिजियोथेरेपी से भी इसका इलाज करवाने की सलाह दी जाती है। फिजियोथेरेपी से मसल्स में लचीलापन आता है, जिससे दर्द में आराम मिलता है।

ऐक्टिव रहना जरूरी
अगर बीमारी की चपेट में आ गए हैं, तो इस दौरान ऐक्टिव रहने की बेहद जरूरत है। व्यायाम, वॉकिंग, योगा, स्विमिंग के अलावा हल्की एक्सर्साइज करने से फायदा मिलता है। लगातार एक ही जगह पर बैठने से बचें। फिजिकल किसी न किसी काम में ऐक्टिव रहें। बैठने का तरीका बदलें। सही तरीके से बैठने से बहुत फायदा मिलता है। अपनी डिस्क पर कम दवाब डालें, इसके साथ ही शरीर का वजन बढ़ने न दें। डाइट में फल और सब्जियां शामिल करें और स्पाइसी, जंक फूड और मार्केट की चीजें खाने से परहेज करें।

ठीक होने में लगता है 4 से 5 हफ्ते
इसे ठीक होने में 4 से 5 हफ्ते तक लग जाते हैं। दरअसल, यह काफी हद तक डिपेंड करता है आपकी इनर स्ट्रेंथ पर।

ब्लजिंग डिस्क के लक्षण
-हाथ या पैर में दर्द।
-हाथ या पैर का सुन्न हो जाना या झनझनाहट फील करना।
-जिस पार्ट में दर्द है, उसे उठा पाना या झुकाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Join Our Whatsapp Group