भूलने की बीमारी है अल्जाइमर, अरोमा थेरेपी और योग से करें बचाव

अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जिसमें इंसान की याददाश्त कमज़ोर होने लगती है। उसे भूलने की बीमारी हो जाती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अपने फैसले लेने में दिक्कत आती है। शुरुआती दौर में व्यक्ति हाल फ़िलहाल में किये अपने काम को ही याद नहीं रख पाता। फिर उसे निर्देशों को समझने और उनका पालन करने में दिक्कत होने लगती है। स्थिति और बिगड़ने पर उसे चीज़े समझने और बोलने में भी परेशानी होने लगती है।

अल्जाइमर होने के कई कारण हो सकते हैं। इस बीमारी की चपेट में व्यक्ति तब आता है जब उसे हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज जैसी समस्या हो। इसके अलावा व्यक्ति का खराब लाइफस्टाइल भी इसकी एक बड़ी वजह है। यदि किसी दुर्घटना के दौरान व्यक्ति के सिर पर चोट लगी हो तब भी उसे भूलने का रोग हो सकता है। आज 20 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस पर जानते हैं की इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए दवाइयों पर निर्भर रहने के अलावा क्या कर सकते हैं।

टमाटर को करें खानपान में शामिल
उम्र बढ़ने खासतौर से 40 का पड़ाव पार करने कस साथ ही शरीर का बीपी बढ़ने या कम होने की परेशानी देखने को मिलती है। इस उम्र में डायबिटीज़ और दिल से जुडी बिमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उस उम्र में आपको अपने खानपान में बादाम, टमाटर, मछली आदि को नियमित रूप से शामिल करना चाहिए। एक रिसर्च के मुताबिक बीस मिनट की कसरत के बाद 150 एमएल टमाटर का जूस लेने से कैंसर जैसे रोग से भी बचाव होता है। इसके अलावा ये दिल को स्वस्थ रखता है और दूसरी बिमारियों के प्रभाव को भी काम करता है।

हल्दी के फायदे अनेक
हल्दी के ढ़ेरों फायदे हैं। ये त्वचा के लिए जितना लाभदायक है उतना ही आंतरिक फायदा भी पहुंचाता है। हल्दी में करक्यूमिन पाया जाता है जिसे नैनोतकनीक से नैनो-पार्टिकल में एनकैप्सूलेट कर अल्जाइमर का इलाज करने में मदद मिल सकती है। हल्दी में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व करक्यूमिन के नैनो पार्टिकल के रूप में उपयोग से अल्जाइमर का इलाज हो सकता है। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कंपाउंड के नैनो साइज़ के चलते इसे दिमाग तक आसानी से पहुंचाया जा सकेगा। इतना ही नहीं यदि इस शोध पर आगे काम किया जाता है तो इसकी मदद से याददाश्त बनाए रखने के लिए ज़रूरी न्यूरोन्स के रिजनरेशन में भी मदद मिलेगी।

पीपल के पेड़ से मिल सकती है मदद
पीपल के पेड़ को लेकर भी एक शोध किया गया है जिससे अल्जाइमर से परेशान लोगों को उम्मीद की किरण नज़र आयी है। इस रिसर्च में अब यह बात सामने आयी है कि जिन एंज़ाइम की वजह से अल्जाइमर फैलता है उसकी गतिशीलता को पीपल की मदद से रोकने में मदद मिली।

अरोमा थेरेपी की मदद लें
रोज़ाना के तनाव और थकावट को दूर करने में इस थेरेपी की मदद कई लोग लेते हैं। अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी कुछ मानसिक बीमारियों से राहत देने में भी अरोमा थेरेपी काफी कारगर साबित हो सकती है। इस थेरेपी की मदद से तनाव कम करने में मदद मिलती है इसलिए इन रोगों से ग्रस्त लोगों को इस थेरेपी से काफी आराम होता है। मस्तिष्क को आराम मिलने और तनाव काम होने से लोगों को भूली हुई यादों को वापस लाने में भी मदद मिलती है।

योग की मदद से खुद को अल्‍जाइमर से बचाएं
योग की मदद से सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक लाभ भी मिलता है। आप अपनी याददाशत को तेज़ करने के लिए भी योग का सहारा ले सकते हैं।

करें प्राणायाम और ध्यान
प्राणायाम ना सिर्फ पूर्ण रूप से शरीर को स्वस्थ रखता है बल्कि यह आपके मस्तिष्क के लिए बेहतरीन दवा के तौर पर काम करता है। फर्श पर दरी या चटाई लगाकर सुखासन की अवस्था में बैठें और नियमित रुप से रोज सुबह अनुलोम-विलोम करें। अगर आप बेहतर नतीजे चाहते हैं तो उसके बाद 10 मिनट तक ध्यान करें।

इनसे बनाएं दूरी
अलजाइमर व ऐसे दूसरे रोगों से दूर रहना चाहते हैं तो सबसे पहले अपने वज़न को नियंत्रित रखें, उसे बढ़ने ना दें। धूम्रपान और शराब का सेवन न करें। आप ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखकर भी इस खतरे से बच सकते हैं।

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