सांस से जुड़ी बीमारी है अस्थमा

अस्थमा जिसे दमा भी कहते हैं सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी में सांस की नली में सूजन आ जाती है। इससे फेफड़ों पर अतिरिक्त दबाव महसूस होता है और सांस लेने पर दम फूलने लगता है और खांसी होने लगती है। आगे की तस्वीरों में जानें, अस्थमा से बचने के लिए क्या करें और अगर आपको या परिवार में किसो को अस्थमा हो तो आप उसका ख्याल कैसे रख सकते हैं…

अस्थमा के सामान्य लक्षण
अस्थमा या दमा एक बार किसी को हो जाए तो जिंदगी भर रहता है। हां, वक्त पर इलाज और आगे जाकर ऐहतियात बरतने पर इसे काबू में किया जा सकता है। अस्थमा के लक्षण…
•सांस फूलना
•लगातार खांसी आना
•छाती घड़घड़ाना यानी छाती से आवाज आना
•छाती में कफ जमा होना
•सांस लेने में अचानक दिक्कत होना

जानें, कब बढ़ता है अस्थमा
•रात में या सुबह तड़के
•ठंडी हवा या कोहरे से
•ज्यादा कसरत करने के बाद
•बारिश या ठंड के मौसम में

बीमारी की वजहें
जनेटिकः अगर माता-पिता में से किसी को भी अस्थमा है तो बच्चों को यह बीमारी होने की आशंका होती है।
वायु प्रदूषण: धूल, कारखानों से निकलने वाला धुआं, धूप-अगरबत्ती और कॉस्मेटिक जैसी सुगंधित चीजों से दिक्कत बढ़ जाती है।
खाने-पीने की चीजें: आमतौर पर अंडा, मछली, सोयाबीन, गेहूं से एलर्जी है तो अस्थमा का अटैक पड़ने की आशंका बढ़ जाती है।
स्मोकिंग: सिगरेट पीने से भी अस्थमा अटैक संभव है। एक सिगरेट भी मरीज को नुकसान पहुंचा सकती है।
दवाएं: ब्लड प्रेशर में दी जाने वालीं बीटा ब्लॉकर्स, कुछ पेनकिलर्स और कुछ एंटी-बायोटिक दवाओं से अस्थमा अटैक हो सकता है।
तनाव: चिंता, डर, खतरे जैसे भावनात्मक उतार-चढ़ावों से तनाव बढ़ता है। इससे सांस की नली में रुकावट पैदा होती है और अस्थामा का दौरा पड़ता है।

अस्थमा हो तो बरतें ऐहतियात
•दवाएं नियमित रूप से लें।
•सूखी सफाई यानी झाड़ू से घर की साफ-सफाई से बचें। अगर ऐसा करते हैं तो ठीक से मुंह-नाक ढक कर करें।
•बेडशीट, सोफा, गद्दे आदि की भी नियमित सफाई करें, खासकर तकिया की क्योंकि इसमें काफी सारे एलर्जीवाले तत्व मौजूद होते हैं।
•कार्पेट इस्तेमाल न करें या फिर उसे कम-से-कम 6 महीने में ड्राइक्लीन करवाते रहें।
•कॉकरोच, चूहे, फफूंद आदि को घर में जमा न होने दें।
•मौसम के बदलाव के समय एहतियात बरतें। बहुत ठंडे से बहुत गर्म में अचानक न जाएं और न ही बहुत ठंडा या गर्म खाना खाएं।
•रुटीन ठीक रखें। वक्त पर सोएं, भरपूर नींद लें और तनाव न लें।

खानपान का रखें ख्याल
•जिस चीज को खाने से सांस की तकलीफ बढ़ जाती हो, वह न खाएं। ठंडी चीजों और जंक फूड से परहेज करें।
•एक बार में ज्यादा खाना नहीं खाना चाहिए। इससे छाती पर दबाव पड़ता है।
•विटमिन ए, विटमिन सी और विटमिन ई के साथ ही एंटी-ऑक्सिडेंट वाले फल और सब्जियां जैसे कि बादाम, अखरोट, राजमा, मूंगफली, शकरकंद आदि खाने से लाभ होता है।
•अदरक, लहसुन, हल्दी और काली मिर्च जैसे मसालों से फायदा होता है।
•रेशेदार चीजें जैसे कि ज्वार, बाजरा, ब्राउन राइस, दालें, राजमा, ब्रोकली, रसभरी, आडू आदि ज्यादा खाएं।
•फल और हरी सब्जियां खूब खाएं।
•रात का भोजन हल्का और सोने से दो घंटे पहले होना चाहिए।

क्या न खाएं?
•प्रोट्रीन से भरपूर चीजें बहुत ज्यादा न खाएं।
•रिफाइन कार्बोहाइड्रेट (चावल, मैदा, चीनी आदि) और फैट वाली चीजें कम-से-कम खाएं।
•अचार और मसालेदार खाने से भी परहेज करें।
•ठंडी और खट्टी चीजों से परहेज करें।

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