सुप्रीम कोर्ट के “आधार” फैसले का रिलायंस जियो पर पड़ा बुरा असर

हाल ही में आधार कार्ड के इस्तेमाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। फैसले में आधार का इस्तेमाल कहां होगा और कहां नहीं, तय किया गया है। आधार कार्ड पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय टेलिकॉम कंपनी रिलायंस जियो पर गहरा असर पड़ सकता है।

रिलायंस जियो पर पड़ेगा बुरा प्रभाव
रिलायंस जियो इन्फोकॉम टेलिकॉम क्षेत्र में प्रवेश करने वाली नई कंपनी है और अपने प्रतिद्वंद्वियों वोडाफोन, आइडिया और भारती एयरटेल के मुकाबले में जियो पर आधार इस्तेमाल रोकने का ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। रिलायंस जियो जैसी कंपनियों के लिए यूज़र वेरिफिकेशन करना एक परेशानी का सबब बन गया है। केंद्र सरकार के डिजीटल इंडिया को बढ़ावा देने के लिए रिलायंस जियो ने शुरुआत से e-kyc के ज़रिए करोड़ों यूजर्स का वेरिफिकेशन कर अपने साथ जोड़ा था।

रिलायंस जियो हर महीने अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले में ज्यादा ग्राहकों को जोड़ती है। एनालिस्ट का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के टेलिकॉम कंपनियों को तेज़ी से होने वाली प्रक्रिया आधार बेस्ड वेरिफिकेशन रोकने से सबस्क्राइबर्स का बढ़ना भी कम हो जाएगा।

जियो के 227 मिलियन यूजर्स
रिलायंस जियो ने साल 2016 में अपनी सेवाएं शुरु की थी। इस वक्त जियो के करीबन 227 मिलियन यानि 22.7 करोड़ यूजर्स हैं। जियो ने हमेशा से ही अपने यूजर्स का आधार बेस्ड वेरिफिकेशन किया है। जिसके कारण जियो की सिम को एक्टिवेट होने में ज्यादा से ज्यादा 30 मिनट का ही वक्त लगता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रिलायंस जियो अन्य तरीकों द्वारा वेरिफिकेशन करनी पड़ेगी जो यकीनन रिलायंस जियो के बिजनेस मॉडल के एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

रि-वेरिफिकेशन पड़ेगा महंगा
अगर जियो आधार के अलावा दूसरे वेरिफिकेशन के तरीकों का इस्तेमाल करती है तो इसमें समय की बर्बादी के साथ साथ पैसों की खपत भी खूब होगी। हालांकि इसके लिए अभी डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम यानी कि DoT के अगले आदेश का इंतजार करना बाकी है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि जिन सबस्क्राइबर्स का पहले से ही आधार कार्ड के ज़रिए e-kyc वेरिफाई किया जा चुका है उनका रि-वेरिफिकेशन किया जाएगा या नहीं? लेकिन ऐसा होता है तो टेलिकॉम कंपनियों की इसमें काफी लागत लगेगी।

विशलेषकों ने टेलिकॉम कंपनियों के लिए आधार निरस्त फैसले का विशलेषण करते हुए बताया है कि इस फैसले से टेलिकॉम कंपनियों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि अब वेरिफिकेशन प्रोसेस की गति काफी कम हो जाएगी जो कि यूजर्स को आकर्षित करने में मुश्किल पैदा करेगी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 6 फरवरी, 2017 को मोबाइल सिम को आधार कार्ड से जोड़ने का फरमान जारी किया था। उस समय रिलायंस जियो को सबसे ज्यादा राहत मिली थी। जबकि दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को रि-वेरिफिकेशन प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा था। 26 सिंतबर को आए सुप्रीम कोर्ट के आधार फैसले रिलायंस जियो और पेटीएम जैसी कंपनियों की मुश्किलें काफी बढ़ सकती है। ऐसे में देखना होगा कि रिलायंस जियो इस मुश्किल से कैसे निपटती है और क्या अभी भी जियो अपने प्रतिद्वंद्वियों को चुनौती देने में कामयाब हो पाएगी?

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