आज खुलेंगे Lord Badrinath के पट
Lord Badrinath : भगवान बद्रीनाथ के पट आज यानी 4 मई रविवार 2025 को खुलेंगे। भगवान के दर्शन करने हजारों श्रद्धालु एक दिन पहले ही वहां पहुंच गए हैं। कहते हैं कि 6 माह के बाद भी पट खुलने के बाद भी एक ज्योति जलती रहती है।

Lord Badrinath : उज्जवल प्रदेश डेस्क. भगवान बद्रीनाथ के पट आज यानी 4 मई रविवार 2025 को खुलेंगे। भगवान के दर्शन करने हजारों श्रद्धालु एक दिन पहले ही वहां पहुंच गए हैं। कहते हैं कि 6 माह के बाद भी पट खुलने के बाद भी एक ज्योति जलती रहती है।
बता दें कि बद्रीनाथ जहां भगवान विष्णु विराजमान हैं, जहां दर्शन भर से व्यक्ति के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं। ब्रदीनाथ ही वह स्थान है जहां दर्शन करने से व्यक्ति जन्म मरण के चक्र से मुक्ति पा सकता है। बद्रीनाथ चार प्रमुख धाम में से एक है। बद्रीनाथ को लेकर कहावत भी है कि “जो जाए बद्री, वो न आए ओदरी”, इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है।
भगवान विष्णु योग ध्यान मुद्रा में लीन थे
भगवान विष्णु के नहीं बल्कि मां लक्ष्मी के नाम पर पड़ा है। मान्यताओं और कथाओं के अनुसार, एक बाद भगवान विष्णु योग ध्यान मुद्रा में लीन थे अधिक बर्फबारी होने के कारण वह बर्फ से पूरी तरह ढक चुके थे। उनकी यह दशा देखकर मां लक्ष्मी का हृदय द्रवित हो उठा वह बहुत परेशान हो गई। फिर माता लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास जाकर एक बेर वृक्ष का रूप ले लिया( जिसका नाम बदरी था) और सारी बर्फ उस वृक्ष के ऊपर गिरे लगी।
बदरीनाथ की मूर्ति की लंबाई 1 मीटर है
भगवान विष्णु की प्रतिमा मंदिर से गायब हो गई थी। बदरीनाथ की मूर्ति की लंबाई 1 मीटर यानी 3।3 फीट है। जब हिंदू और बौद्ध धर्म में संघर्ष चल रहा था इस समय मूर्ति की रक्षा के लिए इसे मंदिर के समीप स्थित नारद कुंड में छिपा दिया गया था। इसके बाद 8वीं सदी में शंकराचार्य को नारद कुंड से मूर्ति प्राप्त हुई थी। उन्होंने इसे एक गुफा में स्थापित कर दिया लेकिन, कहा जाता है कि वहां से फिर मूर्ति अचानक गायब हो गई थी।
कलियुग में बद्रीनाथ की महिमा
पुराण की मानें तो जल प्रलय और सूखा पड़ने के बाद गंगा लुप्त हो जाएगी। इसके बाद बद्रीनाथ के दर्शन नहीं हो पाएंगे। कहते तो ये भी हैं कि इस दिन नर नारायण पर्वत भी आपस में मिल जाएंगे तब बद्रीनाथ जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो जाएगा।
यह भी कहते हैं कि सिर्फ बद्रीनाथ ही नहीं केदारनाथ मंदिर भी पूरी तरह से लुप्त हो जाएगा। इसके बाद कई वर्षों बाद भविष्य बद्री नाम का नया तीर्थस्थल स्थापित होगा। जहां भक्त जन पूजा कर पाएंगे।
नोट: हम इन सभी बातों की पुष्टि नहीं करते। अमल करने से पहले संबंधित विषय विशेषज्ञ से संपर्क करें।