Lord Shiva: साक्षात शिव है बरगद का वृक्ष है, अनदेखा न करें
Lord Shiva: बरगद का वृक्ष जिसे हम वट वृक्ष के नाम से भी जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि बरगद का पेड़ की उम्र हजारों साल की होती है और इसे साक्षात भगवान महादेव का रूप माना जाता है।

Lord Shiva: उज्जवल प्रदेश डेस्क. बरगद का वृक्ष जिसे हम वट वृक्ष के नाम से भी जानते हैं। ऐसी मान्यता है कि बरगद का पेड़ की उम्र हजारों साल की होती है और इसे साक्षात भगवान महादेव का रूप माना जाता है। वट वृक्ष की संरचना जटाओं सी होती है इसीलिए शिव पुराण में इसे साक्षात् जटाजूट वाले महादेव का रूप बताया गया है। अगर हम जब भगवान शिव का शिवलिंग न मिले तो बरगद के पेड़ पर हम एक लोटा जल अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
यहां दर्शन करने से होती है मनोकामनायें पूरी
कुदरत ने मनुष् को हर बार चौंकाया है । ऐसे-ऐसे रहस्य प्रकृति की गोद में है जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इसी तरह बगहा में प्रकृति का दिया एक विशाल मंदिर भी है। जो कि एक बरगद और पीपल के पेड़ में बना हुआ है।वृक्ष में मंदिर भी है और भगवान का आकार भी। पुरी तरह प्राकृतिक इस मंदिर में दर्शन से सभी मनोकामनाएं पुरी होती है ।
वृक्षों का महत्व किसी से छिपा नहीं
बता दें कि यह मंदिर बिहार में वाल्मीकि की तपोभुमि पर स्थित है और सनानत धर्म में पेड़ों का महत्व किसी से छिपा नहीं है। पीपल, बरगद सभी तरह के पेड़ों के कई रहस्यों से भरी कथाएं भी जनमानस में प्रचलित हैं। आश्चर्यों से भरा वृक्ष पश्चिमी चंपारण के टडवलिया गांव में है।
वृक्षों की टहनियां आश्चर्यजनक रूप से शिव के स्वरूप को दर्शाती हैं
बता दें कि बिहार में इस बरगद और पीपल के दो विशाल वृक्षों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके तनों के भीतर मौजूद भगवान शिव का मंदिर है। सिर्फ इतना ही नहीं इन दोनों प्राचीन पेड़ों की टहनियां आश्चर्यजनक रूप से शिव के धनुष, त्रिशूल, डमरू और गले का हार यानि सांप का आभास दिलाती हैं।
मंदिर में साक्षात देवाधिदेव शिव का निवास है। इस दोनों पेड़ों की टहनियां महादेव का डमरू हैं तो शाखाएं त्रिशूल, यही नहीं टहनियों से ही भगवान् गणेश और नाग देवता भी बने हुए हैं।किसी जमाने में यहां श्रीयोगी हरिनाथ बाबा तप किया करते थे और यहीं पर उन्होंने जिंदा समाधी ली थी।
जब बिहार की धरती हिल गई थी
कहते हैं कि समाधी के बाद जब श्रीयोगी के उत्तराधिकारी उमागिरि नाथ इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराने लगे तो कई तरह के चमात्कारिक घटने लगीं। इस गांव में आज तक भूकंप के झटके नहीं आए। यही नहीं 2015 में नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप से जब बिहार की धरती हिल गई थी तब भी इस गांव में झटके महसूस नहीं किए गए।