शराब घोटाला : असि. कमिश्नर को घपले की सूचना और कार्रवाई के अधिकार फिर भी ठेकेदार को मौका, डिपार्टमेंट को धोखा

भोपाल
इंदौर की एमआईजी क्षेत्र की शराब दुकान के ठेकेदार को असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी ने मौका देकर अपने ही विभाग और आला अफसरों को न सिर्फ धोखा दिया, बल्कि वे अप्रैल से लेकर जब तक ठेकेदार करोड़ों रुपए लेकर भाग नहीं गया तब तक इस पूरे मामले को मैनेज करने में जुटे रहे। इस मामले में सोनी के कारनामों से अब धीरे-धीरे परतें खुलती जा रही हैं।

इंदौर के बहुचर्चित करोड़ों के शराब घोटाले में असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी को अप्रैल से लगातार यह जानकारी विभाग से ही मिलती रही कि ठेकेदार पर शुल्क बकाया है, लेकिन सोनी ने ठोस एक्शन लेने की जगह पर ठेकेदार को करोड़ों रुपए लेकर भागने का मौका दिया। इस पूरे मामले से धीरे-धीरे परते उठने लगी है, जिसमें एमआईजी की शराब दुकान के ठेके को लेकर राजनारायण सोनी की शुरू से ही भूमिका संदिग्ध पाई जा रही है। जब वह भाग गया उसके बाद भी सोनी एक्टिव नहीं हुए जब मामला सुर्खियों में आया, जब जाकर विभाग का अमला चेता और ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर करवाई।

भले ही असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी अपने आप को बचाने का लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में उन्हें अप्रैल से ही यह पता था कि एमआईजी की दुकान का ठेका लेने वाले ठेकेदार पर शुल्क बकाया हो चुका हैं। इसके बाद मई में भी उन्हें इस बात की जानकारी दी गई थी कि ठेकेदार ने शुल्क जमा नहीं किया है। तक तक यह राशि महज ढाई करोड़ रुपए थी, लेकिन सोनी और ठेकेदार की सांठगांठ के चलते शुल्क की राशि बढ़कर लगभग 14 करोड़ हो गई और वह पूरी राशि हजम कर भाग गया। सोनी के पास समय रहते जानकारी होने के बाद भी वे इसे दबाते रहे और अब वे अपने से छोटे अफसरों पर अपनी जिम्मेदारी धकेलने का प्रयास कर रहे हैं। इसके चलते वे लगातार अपने अफसरों को गुमराह भी कर रहे हैं। हालांकि अफसर भी जानते हैं कि इस मामले में एसी राजनारायण सोनी की भूमिका संदिग्ध है, फिर भी सोनी को बचाने के लगातार प्रयास जारी है।

तो… पहले ही हो जाता फर्जी बैंक गारंटी का खुलासा
सूत्रों की मानी जाए तो अप्रैल में ही राजनारायण सोनी को यह पता चला गया था कि करीब सवा करोड़ रुपए का शुल्क ठेकेदार मोहन कुमार पर बकाया है। इसके बाद मई से फिर से उन्हें पता चला कि यह राशि बढ़कर ढाई करोड़ रुपए पार कर गई है। इसके साथ ही खजराना क्षेत्र की शराब दुकान का भी बकाया शुल्क की उन्हें जानकारी लग गई थी। इसके बाद भी उन्होंने शुल्क जमा करवाने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं किये।  इसी दौरान यह पूरा मामला डिप्टी कमिश्नर को भी पता चल गया था। जबकि यदि अफसर चाहते तो उसी वक्त बैंक गारंटी को क्रॉस चेक करवाकर इस पूरे मामले को पुलिस को सौंप सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

अप्रैल में शोकॉज लेकिन अंत तक शुल्क को ले कर उदासीन
रावजी बाजार थाने में जिन दोनों ठेकेदारों के खिलाफ इस मामले को लेकर जो प्रकरण दर्ज हैं, उसमें शुरू से ही दोनों ठेकेदारों शुल्क जमा करने को लेकर उदासीन बने हुए थे। असिस्टेंट कमिश्नर सोनी ने अप्रैल में ही ठेकेदार को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया था, हालांकि यह नोटिस वार्षिक लाइसेंस फीस के अंतर की राशि तीन दिन में जमा करने का था। इसके बाद ठेकेदार ने सोनी के साथ ऐसी सांठगांठ कर ली, जिससे उसके हर बकाया राशि को सोनी ने नजरअंदाज कर दिया। वहीं यह भी सामने आया है कि इस पूरे मामले में प्रतिभूति संबंधी दस्तावेजों के सत्यापन की जिम्मेदारी और उस पर निर्णय लेने का अधिकारी असिस्टेंट कमिश्नर सोनी के पास ही है।

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