सिंगरौली और बुरहानपुर में भी ओबीसी कैंडिडेट, भाजपा का जातीय समीकरण

भोपाल
भाजपा ने एक बार फिर सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों की भरमार के बाद उनकी अनदेखी की है और 13 नगर निगम के लिए घोषित किए गए प्रत्याशियों में से दो अनारक्षित सीट पर ओबीसी चेहरों को उतारा है। इसके अलावा चार ओबीसी आरक्षित सीट पर इसी वर्ग के प्रत्याशी उतारे गए हैं। अभी तीन उम्मीदवारों का फैसला होना है जिसमें से दो अनारक्षित कैटेगरी के लिए तय हैं और इनमें सामान्य वर्ग के प्रत्याशियों को मौका मिलने की उम्मीद है। अब तक की स्थिति में बीजेपी ओबीसी को 46 प्रतिशत टिकट दे चुकी है।

प्रदेश में 16 नगर निगम में से चार सीट ओबीसी कैटेगरी के लिए आरक्षित हैं। इनमें से दो सतना और रतलाम ओबीसी पुरुष तथा भोपाल और खंडवा ओबीसी महिला के लिए हैं। इसके अलावा मुरैना एससी महिला, उज्जैन एससी वर्ग तथा छिंदवाड़ा एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है और पार्टी ने रतलाम को छोड़ बाकी निगमों के लिए इन्हीं वर्गों के प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है। सामान्य महिला और पुरुष कैटेगरी के लिए जो नगर निगम आरक्षित हैं, उसमें रीवा, जबलपुर, सिंगरौली, इंदौर अनारक्षित कैटेगरी में रखे गए हैं तथा बुरहानपुर, सागर, कटनी, ग्वालियर व देवास अनारक्षित महिला वर्ग के लिए आरक्षित किए गए हैं।

भाजपा द्वारा जारी की गई 13 प्रत्याशियों की सूची में बुरहानपुर की महिला अनारक्षित सीट से सामान्य वर्ग की महिला को टिकट देने के बजाय ओबीसी कैटेगरी की महिला माधुरी पटेल को टिकट दिया गया है जबकि यहां सामान्य कैटेगरी के टिकट दावेदारों की लम्बी कतार थी। इसी तरह की स्थिति सिंगरौली नगर निगम के लिए बनी है। इस नगर निगम में महापौर का पद अनारक्षित वर्ग के लिए आरक्षित है और यहां ओबीसी वर्ग के चंद्रप्रताप विश्वकर्मा को टिकट दिया गया है। सिंगरौली में नगर निगम बनने के बाद पिछले 18 सालों में कोई भी सामान्य कैटेगरी का महापौर निर्वाचित नहीं हुआ है। 2009 में इस वर्ग के लिए आरक्षित होने के बाद पार्टी ने जिसे टिकट दिया था, वे हार गए थे।

एक नाम तय, दो पर पेंच
सूत्रों का कहना है कि इंदौर के लिए पुष्यमित्र भार्गव का नाम फाइनल हो चुका है लेकिन अभी टिकट का आधिकारिक ऐलान बाकी है। वहीं अनारक्षित महिला वर्ग में शामिल ग्वालियर नगर निगम को लेकर अभी पेंच है। इस नगर निगम के लिए ओबीसी महिला नेताओं की दावेदारी जोरों पर है। अगर यहां किसी ओबीसी महिला को ही टिकट मिला तो ओबीसी वर्ग को टिकट देने का आंकड़ा सभी 16 नगर निगम में 44 फीसदी तक पहुंच जाएगा।

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