MahaKumbh 2025: पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 को, महाकुंभ प्रयागराज में आपर भीड़, कई सालों का रिकार्ड टूटा

MahaKumbh 2025: 12 फरवरी 2025 को माघ महीने की पूर्णिमा पर प्रयागराज के गंगा तट पर कुंभ स्नान करने वालों की संख्या बढ़ने का रिकार्ड टूट गया है।

MahaKumbh 2025: माघ महीने की 12 फरवरी 2025 को पूर्णिमा पर प्रयागराज के गंगा तट पर कुंभ स्नान करने करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आसपास के जिलों से प्रयागराज आ रहे वाहनों पर राज्य सरकार ने रोक लगा दिया गया है।

वाहनों की लगी है लंबी लंबी कतारें

देशभर से कुंभ स्नान को जा रहे श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालात ये हैं कि वाहन चालकों को 10 से लेकर 20 घंटे तक जाम में फंसे हुए हैं। भीड़ अनियंत्रित न हो इसको लेकर सरकार ने प्रयागराज आ रहे वाहनों को बीच में ही रोकना शुरू कर दिया है। तो वहीं श्रद्धालु लोग पैदल ही संगम की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं।

20 किलोमीटर तक का लगा है जाम

पूर्णिमा पर्व स्नान को जा रहे वाहनों की संख्या बढ़ रही है। शहर से गुजर रहे हाइवे के अलावा शहर और ग्रामीण इलाकों की गलियों में भी जाम लगा हुआ है। शहर से चारों ओर 20 किलोमीटर तक जाम लगा हुआ है। इसकी वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

पिछले कई सालों का रिकॉर्ड टूटा

कुभ स्नान को लेकर रेलवे स्टेशनों की हालत ये है कि वहां पैर रखने की जगह जगह तक नहीं है। वहीं बेहिसाब भीड़ की वजह से संगम (दारागंज) स्टेशन बंद कर दिया गया है। श्रद्धालुओं के आने के पिछले कई सालों के रिकॉर्ड टूट गए हैं। बता दें कि मौनी अमावस्या के बाद से श्रद्धालुओं के आने में कुछ कमी देखी गई थी। मगर 7 फरवरी के बाद एक बार फिर लोगों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।

जबलपुर के सिहोरा में प्रशासन ने रोका श्रद्धालुओं को

जबलपुर से प्रयागराज के लिए जाने वाले हाइवे पर जाम लगा हुआ है। जिसको देखते हुए जिला प्रशासन ने बढ़ते श्रद्धालुओं को देख्ते हुए जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर सिहोरा में प्रशासन ने प्रयागराज की ओर जाने वाले तमाम वाहनों को रोक दिया गया है। हालाते ये हैं कि प्रशासन गाड़ियों को आगे नहीं जाने दे रहा है। इसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैफिक प्रबंधन ठप दिखाई दे रहा है। पुलिस अफसरों का कहना है कि प्रयागराज में जाम होने की वजह से लोगों को रुक-रुककर छोड़ा जा रहा है।

Deepak Vishwakarma

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