MEHBOOBA की मांग- ‘KASHMIRI PANDITS की हो सुरक्षित और स्थायी वापसी’

MEHBOOBA Mufti ने कश्मीरी पंडितों की सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास की मांग की है। PDP की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर रोडमैप प्रस्तुत किया।

MEHBOOBA: उज्जवल प्रदेश, श्रीनगर/नई दिल्ली. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा (MEHBOOBA) मुफ्ती ने कश्मीरी पंडितों (KASHMIRI PANDITS) की सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास की मांग (Demand’s) की है। सोमवार को उन्होंने कहा कि समुदाय के फिर से एकीकरण को महज प्रतीकात्मक वापसी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे जम्मू-कश्मीर के साझा, समावेशी और दूरदर्शी भविष्य के निर्माण के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए।

पूर्व मुख्यमंत्री ने राजभवन में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात की और इस मुद्दे पर सार्थक प्रगति के लिए समावेशी और चरणबद्ध रोडमैप प्रस्तुत किया। पीडीपी प्रमुख ने प्रस्ताव की प्रतियां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी भेजीं।

महबूबा मुफ्ती ने पत्र में कहा, ‘यह मुद्दा राजनीति से परे है और हमारी सामूहिक अंतरात्मा की गहराई को छूता है। यह सुनिश्चित करना नैतिक रूप से जरूरी है। सामाजिक जिम्मेदारी है कि दुखद रूप से अपनी मातृभूमि से विस्थापित हो गए हमारे पंडित भाई-बहनों को सुरक्षित (Safe) और (&) स्थायी (Permanently) तरीके से लौटने (Returning) का अवसर प्रदान किया जाए।’

महबूबा ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में हर राजनीतिक दल ने लगातार उनकी वापसी के विचार का समर्थन किया है, चाहे वह किसी भी विचारधारा का हो। उन्होंने कहा कि उनके विस्थापन का साझा दर्द और सुलह की चाहत हम सभी को इस विश्वास से बांधती है कि कश्मीर एक बार फिर ऐसा स्थान बन सकता है, जहां समुदाय शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व में रह सकें। इस मोर्चे पर सार्थक प्रगति को सुगम बनाने के लिए, आपके विचारार्थ एक समावेशी और चरणबद्ध रोडमैप संलग्न किया गया है।

समावेशी विचार-विमर्श कर नीतियां लागू करें

पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि प्रस्ताव में सभी हितधारकों के दृष्टिकोण पर जोर दिया गया है। साथ ही, यह सुनिश्चित किया गया कि कोई भी नीति या योजना सहानुभूति, आपसी विश्वास और जमीनी हकीकत पर आधारित हो। उन्होंने कहा, ‘मैं आपके कार्यालय से समुदाय, नागरिक समाज, स्थानीय नेताओं और संबंधित प्रशासनिक एजेंसियों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए संवाद आधारित प्रक्रिया शुरू करने का आग्रह करती हूं। केवल समावेशी विचार-विमर्श के माध्यम से ही हम एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं, जहां कोई भी समुदाय अपनी ही भूमि पर अलग-थलग महसूस न करे।’

Ramesh Kumar Shaky

रमेश कुमार शाक्य एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिनके पास 22 वर्षों से अधिक का अनुभव है। अपने करियर के दौरान, उन्होंने कई प्रतिष्ठित समाचार संगठनों के साथ काम किया और… More »

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