MP Bus Operators Strike: मध्यप्रदेश में निजी बस संचालकों की दो दिवसीय हड़ताल
MP Bus Operators Strike: राजधानी भोपाल सहित प्रदेशभर के निजी बस संचालकों ने सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है, जिससे राज्य में परिवहन सेवाएं बाधित होंगी।

MP Bus Operators Strike: उज्जवल प्रदेश, भोपाल. राजधानी भोपाल सहित प्रदेशभर के निजी बस संचालकों ने सोमवार से दो दिवसीय हड़ताल की घोषणा की है, जिससे राज्य में परिवहन सेवाएं बाधित होंगी। भोपाल जिले में 1,000 से अधिक बसें और पूरे संभाग में लगभग 3,000 बसें सड़कों से नदारद रहेंगी, जिससे सभी जिलों में यात्रियों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
यह हड़ताल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा यात्री बसों के लिए अस्थाई परमिट जारी करने पर हाल ही में लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में है। इस निर्णय से बस संचालकों में आक्रोश फैल गया है, जिनका तर्क है कि अस्थाई परमिट उनके संचालन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जानकारी के अनुसार, भोपाल में नादरा, आईएसबीटी और हलालपुर सहित प्रमुख बस स्टैंडों पर परिचालन पूरी तरह से ठप रहा। इसी तरह इंदौर, जबलपुर और अन्य जिलों में भी हड़ताल के दौरान बसों की सेवाएं बंद रहीं। बस संचालकों के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो हड़ताल अनिश्चित काल के लिए बढ़ाई जा सकती है।
हाईकोर्ट का यह फैसला तब आया जब यह पता चला कि परिवहन विभाग द्वारा मनमाने तरीके से अस्थायी परमिट जारी किए जा रहे हैं, जिससे कथित भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 87 (1) (सी) के तहत अस्थायी परमिट केवल विशेष परिस्थितियों में ही जारी किए जाने चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने पाया कि ये परमिट सामान्य हो गए हैं, जिससे सिस्टम की अखंडता को नुकसान पहुंच रहा है।
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि अनियमितताओं को दूर करना और भ्रष्टाचार को खत्म करना परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी है। बस संचालकों के प्रतिनिधियों का कहना है कि हम मांग करते हैं कि स्थायी परमिट दिए जाने तक अस्थायी परमिट जारी किए जाते रहें। अस्थायी परमिट बंद होने से कई ड्राइवर, कंडक्टर और हेल्पर अपनी नौकरी खो चुके हैं। जनवरी का टैक्स चुकाने के बावजूद हमें अभी तक परमिट नहीं मिले हैं। यूनियन का कहना है कि उनकी शिकायतें परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह के समक्ष उठाई गई थीं, लेकिन कोई समाधान नहीं किया गया।