MP News: छिंदवाड़ा में बर्ड फ्लू संक्रमित हजारों मुर्गियां और अंडे नष्ट कराए, नॉनवेज बेचने पर 1 महीने बैन
MP News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बर्ड फ्लू की दस्तक से हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में प्रशासन ने हजारों मुर्गे-मुर्गियां और लगभग 40 हजार अंडों को दफनाकर नष्ट कर दिया है।

MP News: उज्जवल प्रदेश, छिंदवाड़ा. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बर्ड फ्लू की दस्तक से हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में प्रशासन ने हजारों मुर्गे-मुर्गियां और लगभग 40 हजार अंडों को दफनाकर नष्ट कर दिया है। एहतियात के तौर पर छिंदवाड़ा कलेक्टर ने आगामी आदेश तक नॉनवेज बेचने पर पाबंदी लगा दी है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक बर्ड फ्लू संक्रमण को एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza) भी कहा जाता है। ये टाइप-ए वायरस के कारण होता है और आमतौर पर, मुर्गे-मुर्गियों, अन्य पक्षी और पशु प्रजातियों को भी संक्रमित करता है। बर्ड फ्लू मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है और इंसानों को भी हो सकता है। बर्ड फ्लू के कई स्ट्रेन मौजूद हैं, जिसमें H5N1, H7N9, H5N6 और H5N8 शामिल हैं। इनमें से कई स्ट्रेन पक्षियों की मौत का कारण भी बन जाते हैं। 1997 में सबसे पहले ये बीमारी सामने आई थी।
मध्य प्रदेश में कब आया बर्ड फ्लू?
1997 में चीन में बर्ड फ्लू का पहला मामला सामने आया था, जिसके बाद 2006 में भारत में पहली बार बर्ड फ्लू ने दस्तक दी। पहली बार एवियन इन्फ्लूएंजा (Bird flu) महाराष्ट्र के नवापुर के एक पोल्ट्री फार्म में हुआ था। इसके बाद से मध्य प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में समय-समय पर ये बीमारी फैलती रही है। गावी डॉट ऑर्ग के मुताबिक बर्ड फ्लू की वजह से 2006 से लेकर अबतक 1 करोड़ से अधिक मुर्गे-मुर्गियों और पक्षियों को मारा जा चुका है, जिससे मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
छिंदवाड़ा में एक महीने नहीं मिलेगा नॉनवेज
हाल ही में एमपी के छिंदवाड़ा में फैले बर्ड फ्लू से बचाव लिए कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने प्रतिबंधात्मक आदेश जारी कर दिए हैं। कलेक्टर के आदेश पर 1 महीने के लिए छिंदवाड़ा में चिकन/मीट बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वहीं चिकन/मटन मार्केट से 1 किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले कुल 11 वार्ड को संक्रमित एरिया घोषित किया गया है।
पशुपालन व डेयरी विभाग के उपसंचालक डॉ। एचजीएस पक्षवार ने कहा,” छिंदवाड़ा में संक्रमित क्षेत्र के 1 किमी के दायरे में 758 मुर्गियां, 38126 अंडे और 144 किलो मुर्गी दाने को जमीन में गाड़कर नष्ट कर दिया गया है।” बता दें कि महाराष्ट्र में भी बर्ड फ्लू के मामले सामने आने के बाद 7200 से अधिक मुर्गे-मुर्गियों को नष्ट किया गया है।
इंसानों में बर्ड फ्लू कैसे फैलता है?
एनएचएस डॉट यूके की रिपोर्ट के मुताबिक, ” बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षी मुर्गे-मुर्गियों को मारने, खाने, पकाने, उन्हें छूने, उनके मल-मूत्र के संपर्क में आने से इंसानों को भी बर्ड फ्लू हो सकता है। पोल्ट्री फार्म या मीट मार्केट में इसका संक्रमण सबसे ज्यादा हो सकता है।”
बर्ड फ्लू से कैसे बचें?
- अगर आपके क्षेत्र में बर्ड फ्लू का संक्रमण फैला है तो हो सके तो कुछ दिनों के लिए नॉनवेज खाना छोड़ दें।
- पक्षियों और जीवित मुर्गे-मुर्गियों के संपर्क में आने से भी बचें।
- अधपका या कच्चा मांस खाने से बचें।
- खाना खाने से पहले अच्छी तरह साबुन से हाथ धोएं।
- पोल्ट्री फार्म, पशु-पक्षियों के या मीट मार्केट में न जाएं।
- कच्चे अंडे खाने से बचें।
बर्ड फ्लू के इंसानों में क्या लक्षण होते हैं?
WHO के मुताबिक, ”बर्ड फ्लू से संक्रमित होने पर इंसानों में इसके लक्षण वायरल फीवर की तरह तेजी से दिखाई देते हैं। जैसे- अत्यधिक खांसी, मसल्स में दर्द, तेज बुखार, बेवजह ठंड लगना, सिरदर्द आदि। वहीं कई लोगों को अचानक पेट दर्द, दस्त और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। इसके कई स्ट्रेन इंसानों के लिए घातक भी हैं।”
बर्ड फ्लू का क्या इलाज है?
वर्तमान में बर्ड फ्लू की कोई वैक्सीन नहीं है। हालांकि, इससे संक्रमित होने पर डॉक्टर एंटीवायरल दवाएं देकर इसके प्रभाव को कम करने की कोशिश करते हैं।
नॉन वेज खाना चाहिए या नहीं?
इस सवाल पर लोगों को अक्सर डिबेट करते हुए देखा जाता है। नॉन वेज खाएं या न खाएं, इसे लेकर सभी की अपनी पसंद, मान्यताएं और विचार रहते हैं पर खुद साइंस की नजरों में नॉनवेज खाने के फायदे से ज्यादा नुकसान बताए गए हैं। WHO के मुताबिक अत्यधिक नॉन वेज खाने से कैंसर (खासतौर पर आंत और मलाशय का कैंसर) हार्ट डिसीज, डायबिटीज होने की सबसे ज्यादा संभावना होती है।
वहीं कच्चा या अधपका मांस खाने से बर्ड फ्लू के साथ-साथ कई तरह के गंभीर संक्रमण होते है। हालांकि, कई रिपोर्ट्स में नॉन वेज को एक बेहतर डाइट के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। लेकिन कितनी मात्रा में नॉनवेज डायट इंसानी शरीर के लिए सुरक्षित है या नहीं? इस सवाल के जवाब के लिए कोई साइंटिफिक डाटा उपलब्ध नहीं है।