MUMBAI BLAST: अदालत का आदेश-साजिशकर्ता TIGER MEMON की PROPERTY पर केंद्र करे कब्जा
MUMBAI BLAST की 14 संपत्तियों को केंद्र के कब्जे में सौंपने का एक विशेष अदालत ने आदेश दिया है। मुंबई बम धमाके के साजिशकर्ता टाइगर मेमन की ये संपत्तियां फिलहाल बॉम्बे उच्च न्यायालय के रिसीवर के पास हैं।

MUMBAI BLAST: उज्जवल प्रदेश, मुंबई. एक विशेष अदालत (Court) ने मुंबई बम धमाके के साजिशकर्ता टाइगर मेमन (TIGER MEMON) की 14 संपत्तियों (PROPERTY) को केंद्र (Centre) के कब्जे में सौंपने (Take Over) का आदेश (Orders) दिया है।
ये संपत्तियां फिलहाल बॉम्बे उच्च न्यायालय के रिसीवर के पास हैं, जिन्हें साल 1994 में टाडा कानून के तहत अदालत ने जब्त करने का आदेश दिया था। टाइगर मेमन 12 मार्च, 1993 में हुए मुंबई धमाकों का साजिशकर्ता है। उस दिन 13 अलग-अलग धमाकों में 257 लोगों की जान गई और 700 अन्य लोग घायल हुए थे। सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी।
14 संपत्तियां केंद्र सरकार के कब्जे में जाएंगी
विशेष अदालत के आदेश के बाद जिन संपत्तियों को केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा, उनमें बांद्रा वेस्ट में स्थित एक रिहायशी इमारत में फ्लैट, माहिम में कार्यालय, माहिम में एक प्लॉट, माहिम में ही एक अन्य प्लॉट, सांताक्रूज ईस्ट में एक फ्लैट, कुर्ला की एक इमारत में दो फ्लैट, मोहम्मद अली रोड पर एक ऑफिस, डोंगरी में एक प्लॉट और दुकान, मनीष मार्केट में तीन दुकानें और शेख मेमन स्ट्रीट में एक इमारत में तीन दुकानें शामिल हैं। बीते हफ्ते 26 मार्च को विशेष टाडा अदालत के जज वीडी केदार ने अपने आदेश में कहा कि जब्त अचल संपत्तियां केंद्र सरकार को सौंपी जानी चाहिए।
उच्च न्यायालय के कब्जे में हैं संपत्तियां
आदेश में कहा गया है कि केंद्र सरकार, सक्षम प्राधिकारी के माध्यम से 14 अचल संपत्तियों पर कब्जा करने की हकदार है। केंद्र सरकार ने तस्कर और विदेशी मुद्रा हेरफेर (संपत्ति जब्ती) अधिनियम, SAFEM (FOP) अधिनियम के तहत संपत्तियों को मुक्त करने की मांग की थी।
याचिका में कहा गया कि SAFEM (FOP) अधिनियम का काम तस्करों और मादक पदार्थों के तस्करों की अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों का पता लगाना और केंद्र सरकार को उनकी जब्ती का आदेश देना है। मुंबई बम धमाके के बाद से ही ये संपत्तियां उच्च न्यायालय के कब्जे में हैं। 1993 के मुंबई बम धमाकों की साजिश अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने अपने गुर्गों टाइगर मेमन और मोहम्मद दोसा की मदद से रची थी।
सीबीआई जांच में पता चला कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर यह साजिश रची गई। इस मामले में दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन अभी भी वांछित आरोपी हैं और टाइगर के भाई याकूब मेमन को इस मामले में दोषी ठहराया गया और साल 2015 में उसे फांसी दे दी गई।