बाढ़ से त्रस्त नगालैंड, 3 जिलों से सम्पर्क टूटा, दिल्ली से अधिकारियों की टीम पहुंची

कोहिमा 
केरल के बाद देश के पूर्वोत्तरीय राज्य नगालैंड में बाढ़ की विभीषिका बढ़ती जा रही है। अभी तक एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और प्रदेश का बड़ा भू-भाग बाढ़ की वजह से शेष हिस्सों से कट गया है। केंद्रीय अधिकारियों का एक दल इस सीमावर्ती प्रदेश में बाढ़ के नुकसान का आकलन करने पहुंच गया है। दिल्ली से गए इस दल में विभिन्न मंत्रालयों के सीनियर अधिकारी शामिल हैं, जो बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करेंगे। 

गृह मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी के.बी. सिंह की अगुआई में सड़क, कृषि और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की टीम मंगलवार शाम नगालैंड पहुंच गई। प्रदेश सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, 'दिल्ली से आई टीम ने दीमापुर का दौरा किया और नुकसान का आकलन किया। अधिकारियों ने किसानों से मुलाकात की। खराब मौसम की वजह से अधिकारी किफिरे एरिया तक नहीं पहुंच सके, जो कि सबसे बुरी तरह से प्रभावित है।' 

अन्य हिस्सों से कटे 3 जिले, 600 गांव 
नगालैंड में लगातार बारिश की वजह से तीन जिले तुएनसैंग, किफिरे और फीक पिछले 15 दिनों से राज्य से कटे हुए हैं। करीब 600 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। सड़कों की 359 लोकेशन पूरी तरह कट चुकी है, जिससे राज्य को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। आपदा की वजह से 3 हजार से ज्यादा परिवार विस्थापित हो चुके हैं, जबकि उनकी करोड़ों की प्रॉपर्टी नष्ट हो चुकी है। 

800 करोड़ सहायता की जरूरत 
नगालैंड सरकार को इस मॉनसून के दौरान भूस्खलन और बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए करीब 800 करोड़ रुपये की तत्काल सहायता की जरूरत है। राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी। बाढ़ और बारिश की वजह से राज्य में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं सड़कें कटने से पिछले एक महीने से 530 गांवों के लगभग 50 हजार लोगों से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। 

CM की अपील के बाद केंद्रीय दल रवाना 
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की सोशल मीडिया पर अपील के बाद केंद्र सरकार ने अधिकारियों की एक टीम को नगालैंड रवाना किया। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर बाढ़, भारी बारिश और भूस्खलन से बर्बाद हो चुके राज्य को पुनर्जीवित करने के लिए देश की मदद मांगी थी। 
 

असम-अरुणाचल में भी स्थिति चिंताजनक 
वहीं असम में एक बार फिर से बाढ़ आने से चार जिले जलमग्न हो गए हैं। इस बाढ़ से लगभग 12000 लोग प्रभावित हुए हैं। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में भी बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। 

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