कर्णप्रयाग के घरों में भी जोशीमठ की तरह दरारें, आज पहुंचेगी केंद्र की टीम

जोशीमठ में रहने वाले लोग घरों और सड़कों पर चौड़ी दरारों के चलते दहशत के साए में जी रहे हैं। करीब डेढ़ किलोमीटर का इलाका आपदाग्रस्‍त घोषित कर दिया गया है। इन इलाकों में बने अधिकांश भवन खतरनाक बताए जा रहे हैं। इस पूरे इलाके का हाइड्रोलॉजिकल अध्‍ययन भी कराया जाएगा।

कर्णप्रयाग

उत्तराखंड के चमोली में जोशीमठ से शुरू हुआ भू-धंसाव अब कर्णप्रयाग तक पहुंच गया है. एक तरफ जोशीमठ के लोग चिंतित और परेशान हैं, तो वहीं कर्णप्रयाग नगर पालिका के बहुगुणा नगर में मौजूद करीब पचास घरों में दरार आने लगी हैं. भू-धंसाव के कारण इन घरों की दीवारे धीरे-धीरे दकरने लगी हैं. घरों के दरकने के बाद इलाके के पीड़ितों ने प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

आज पहुंचेगी केंद्र सरकार की टीम

जोशीमठ में भू धसाव के बीच सरकार ने कई परिवारों को अस्थाई जगह पर शिफ्ट कर दिया है। इस बीच केंद्र सराकर की एक टीम भी आज जोशीमठ का दौरा करेगी। उत्तराखंड सरकार ने सुरक्षा और बचाव कार्यों के लिए चमोली जिले को 11 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जारी की है। जोशीमठ के 4 वार्डों को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है और तत्काल इस इलाके को खाली करने के आदेश दिए गए हैं। वहीं इस इलाके में मौजूद 2 होटल माउंट व्यू व मलारी इन भी बंद कराए गए हैं।

घरों में दरार आने के बाद खतरे को भांपते हुए बहुगुणा नगर के कई परिवार यहां से जा चुके हैं. सभी ने अपने मिलने वाले और रिश्तेदारों के घरों में शरण ली है. वहीं, कर्णप्रयाग के अप्पर बाजार वार्ड के भी तीस परिवारों पर भी ऐसा ही संकट आया हुआ है. सभी लोग प्रदेश सरकार से मदद मांग रहे हैं.

गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार सिंह ने बताया कि प्रशासन लगातार सेना के अधिकारियों के साथ संपर्क में है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ;इसरोद्ध से जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें ली जाएंगी। पिछले चार महीनों की तस्वीरों को लेकर समझा जाएगा कि आखिर हालात ऐसे क्यों बन रहे हैं? 2-3 दिन में इसरो की ओर से यह तस्वीरें सामने आ सकती हैं। बता दें जोशीमठ पर पैदा हुआ संकट मामूली नहीं है। भू-गर्भीय रूप से यह इलाका काफी संवेदनशील है और सिस्मिक जोन-5 के अंदर आता है। इस शहर में हो रहे धंसाव की आशंका पहले ही पैदा हो गई थी और सरकार की विशेषज्ञों की टीम ने एक रिपोर्ट भी तैयार की थी।

दरारों ने नैनीताल में भी बढ़ाई टेंशन
नैनीताल। भू धंसाव और दरारों ने सरोवर नगरी नैनीताल में भी टेंशन बढ़ा दी है। भूस्खन के चलते नैनीताल का ऐतिहासिक बैंड स्टैंड छह माह से पर्यटकों के लिए बंद है।जुलाई में बैंड स्टैंड के समीप की दीवार भरभराकर झील में जा गिरी थी। जिससे बैंड स्टैंड से लेकर वाल्मीकि पार्क की ओर से दरारें लगातार बढ़ रही है। सिंचाई विभाग ने क्षतिग्रस्त दीवार के निर्माण और अन्य सुरक्षा कार्यों के लिए डीपीआर तैयार कर शासन को भेज है। लेकिन ट्रीटमेंट के लिए बजट अब तक जारी नहीं हो सका हैं। तीन वर्ष पूर्व मल्लीताल बैंड स्टैंड के समीप फुटपाथ में बड़ी दरार उभर आई थी।

तब विभाग की ओर से तात्कालिक सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए। जुलाई 2022 में सुरक्षा दीवार ढह कर झील में समा गई। जिससे बैंड स्टैंड में भी बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई। सिंचाई विभाग सहित प्रशासनिक अफसरों की टीम ने निरीक्षण कर कहा था कि जल्द क्षतिग्रस्त दीवार का काम शुरू हो जाएगा। अब जिम्मेवार लोग उस ओर झांकने तक नहीं जा रहे हैं। बैंड स्टैंड के आसपास बेरीकेडिंग कर दी गई थी। इससे इस स्थल पर खड़े होकर पर्यटकों का झील को नजदीक से निहारना भी बंद है।

 

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