दिल्ली हाई कोर्ट ने IOA चीफ नरेंद्र बत्रा को दिया आदेश, अध्यक्ष के तौर पर काम करना बंद करें

नई दिल्ली
अनुभवी खेल प्रशासक नरिंदर बत्रा को शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा "अवमानना ​​कार्यवाही में" भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष के रूप में कार्य करना बंद करने का आदेश दिया गया। उनको एक महीने पहले अपना पद छोड़ने के लिए कहा गया था।

खान की ओर से पेश हुए वकील वंशदीप डालमिया ने कहा, 'अदालत ने आदेश दिया कि नरिंदर बत्रा को तत्काल प्रभाव से आईओए अध्यक्ष के तौर पर काम करना बंद कर देना चाहिए।"यह एक अवमानना ​​​​कार्यवाही थी क्योंकि बत्रा इस अदालत के पहले के आदेश के बावजूद आईओए अध्यक्ष के रूप में बैठक में भाग लेना जारी रखे हुए थे। उन्होंने कहा, "अदालत ने यह भी कहा कि वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खन्ना आईओए के कार्यवाहक अध्यक्ष होंगे।" 25 मई को, बत्रा को आईओए प्रमुख के पद से हटा दिया गया था। उस समय भी आईओए ने खन्ना को अपना कार्यवाहक प्रमुख बनाया था।

बत्रा ने हॉकी इंडिया के प्रतिनिधि (लाइफ मेंबर) के रूप में IOA अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था। कोर्ट ने इस पोस्ट को ही हटा दिया है। वह पिछले महीने के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद IOA अध्यक्ष के पद से इस्तीफा नहीं दे रहे थे। इसलिए, मुझे अदालत की अवमानना ​​​​याचिका दायर करनी पड़ी। खान द्वारा दायर एक याचिका में, दिल्ली एचसी ने पिछले महीने फैसला सुनाया था कि आजीवन सदस्य और आजीवन अध्यक्ष का पद "अवैध" था क्योंकि ये सब राष्ट्रीय खेल संहिता के अनुरूप नहीं था, और बीसीसीआई की तरह प्रशासकों की तीन सदस्यीय समिति (सीओए) स्थापित की थी जो हॉकी इंडिया को चलाएगी।

बत्रा अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के भी प्रमुख हैं। वह 2016 में विश्व हॉकी बॉडी के अध्यक्ष बने और पिछले साल दूसरे कार्यकाल के लिए इस पद को फिर प्राप्त किया। बत्रा को हटाने का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की उनकी सदस्यता भी समाप्त हो जाएगी। बत्रा को 2019 में आईओसी का सदस्य बनाया गया था। पिछले महीने उच्च न्यायालय के फैसले के ठीक बाद बत्रा ने कहा था कि वह आईओए अध्यक्ष पद के लिए फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगे क्योंकि उन्हें एफआईएच को और समय देने की जरूरत है। बत्रा का शासनकाल विभिन्न विवादों से घिरा रहा है।

 

Related Articles

Back to top button