Sardar Patel और RSS के बीच कैसा था रिश्ता

Sardar Patel And RSS : सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका को कोई भी नहीं नकार सकता है। बीजेपी हमेशा कहती है कि कांग्रेस ने हमेशा सरदार पटेल की भूमिका एवं महत्व को नकारने का काम किया है।

Sardar Patel And RSS : नई दिल्ली. भारतीय इतिहास में देश के पहले उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की महत्वपूर्ण भूमिका को कोई भी नकार नहीं सकता है लेकिन उनके योगदान को मिलने वाले सम्मान को लेकर देश में पिछले कई दशकों से सवाल भी उठाए जा रहे हैं।

भाजपा लगातार यह आरोप लगाती रही है कि नेहरू-गांधी परिवार की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिए कांग्रेस ने हमेशा सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमिका एवं महत्व को नकारने का काम किया है और केंद्र में भाजपा की सरकार ने ही उन्हें उचित सम्मान देने का काम किया है।

राजनीतिक तौर पर भाजपा ने गुजरात के साथ-साथ पूरे देश में सरदार पटेल की राजनीतिक विरासत पर अपना दावा ठोंक रखा है। हालांकि दावा यह भी किया जाता है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल आरएसएस के प्रति हमदर्दी की भावना रखते थे

लेकिन इन दावों और खासतौर से भाजपा के बयानों पर कटाक्ष करते हुए विरोधी बार-बार यह याद दिलाने की कोशिश करते हैं कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने ही बतौर गृह मंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाया था।

ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर आरएसएस और सरदार पटेल का रिश्ता क्या था? आजाद भारत में अपने संगठन पर पहली बार प्रतिबंध लगाने वाले और वो भी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या जैसे जघन्य मामले में प्रतिबंध लगाने वाले सरदार पटेल के बारे में संघ क्या सोचता है ?

संघ सरदार पटेल के योगदान और अपने संगठन के बारे में उनकी सोच को लेकर क्या राय रखता है ? राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने आजादी के दौर को याद करते हुए कहा कि जिस कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज दिलाने का वादा किया था उस कांग्रेस ने खंडित भारत दिलाया।

भारत को न केवल विभाजन का सामना करना पड़ा बल्कि सैकड़ो की संख्या में ऐसे राजे-रजवाड़े और नवाब भी खड़े हो गए जो किधर जाएंगे कहा नहीं जा सकता था।

भारत के टुकड़ों में बंटने का खतरा पैदा हो गया था और संकट के ऐसे दौर में उप प्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सरदार पटेल की जमकर प्रशंसा करते हुए संघ नेता ने कहा कि अगर जम्मू कश्मीर का मसला भी जवाहर लाल नेहरू की जगह सरदार पटेल ने हैंडल किया होता तो यह समस्या ही नहीं पैदा होती।

विभाजन के दौर में सरदार पटेल की भूमिका को याद करते हुए इंद्रेश कुमार ने दावा किया कि पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं के नरसंहार को रोकने और उनके भारत में आने के बाद उनकी हर तरह की सहायता करने में सरदार पटेल ने बड़ी भूमिका निभाई थी।

इंद्रेश कुमार ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान से बेसहारा होकर 1947 में भारत आने वाले हिंदुओं और अन्य लोगों की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जिस तरह से मदद की उससे प्रभावित होकर सरदार पटेल ने उस समय संघ की जमकर तारीफ भी की थी।

महात्मा गांधी की हत्या के समय संघ पर सरदार पटेल द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कांग्रेस का था

अपनी पार्टी कांग्रेस के दवाब के कारण मजबूरी में सरदार पटेल को संघ पर प्रतिबंध लगाना पड़ा लेकिन जैसे ही उनके सामने जांच के तथ्य आएं, उन्होंने ही संघ को निर्दोष बताते हुए संघ पर लगे प्रतिबंध को हटाने में बड़ी भूमिका निभाई।

इंद्रेश कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने इस संबंध में शुरू से लगातार झूठ फैलाने का प्रयास किया लेकिन वो आज तक इस आरोप को साबित नहीं कर सकी।

जाहिर तौर पर अपने ऊपर प्रतिबंध लगाने के लिए संघ किसी भी सूरत में सरदार पटेल को जिम्मेदार नहीं मानता है। इस मामले में कांग्रेस के फैसले का जिक्र करते हुए इंद्रेश कुमार इशारों-इशारों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को प्रतिबंध लगाने के फैसले के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

कांग्रेस पर राजनीतिक हमला जारी रखते हुए संघ के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार ने यह भी कहा कि दुर्भाग्य से कांग्रेस को चलाने वाले नेहरू गांधी परिवार के लोगों को सरदार वल्लभ भाई पटेल की क्षमता, कुशलता, योगदान, कद और प्रसिद्धि सूट नहीं करती थी इसलिए उन्होंने सरदार पटेल के प्रति ईष्र्या पूर्ण व्यवहार किया।

जीवित रहते हुए भी सरदार पटेल का अपमान किया गया और मृत्यु के बाद जो सम्मान उन्हें देना चाहिए था वो भी उन्हें नहीं दिया गया। इन्ही पापों और अपराधों के कारण आज कांग्रेस भारतीय राजनीति में हाशिए पर चली गई है और निराशा के गर्त में डूब गई है।

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