National News : भारत ने बनाया विध्वंसक स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम, जानिए खासियत

National News : भारत ने एक ऐसा महाहथियार बना लिया है, जो रूस के S-400 सिस्टम की तरह ही हवाई कवच बनाएगा. दुश्मन की तरफ से तेज गति से भेजा गया फाइटर जेट, मिसाइल, ड्रोन या हेलिकॉप्टर इसकी मार से बच नहीं पाएगा. खास बात ये है कि इसे आसानी से उठाकर ले जा सकते है. हर सीमा पर तैनात कर सकते हैं.

Latest National News : उज्जवल प्रदेश, चांदीपुर. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी DRDO ने 14 मार्च 2023 को ऐसे एयर डिफेंस सिस्टम का सफल परीक्षण किया है, जो एकदम रूस के S-400 की तरह है. इस मिसाइल की स्पीड एयर डिफेंस सिस्टम के हिसाब से बेहतरीन है. इससे दुश्मन के यान, विमान, हेलिकॉप्टर और ड्रोन को भागने या बचने का मौका ही नहीं मिलेगा.

डीआरडीओ ने ओडिशा के समुद्र तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) चांदीपुर में बहुत कम दूरी की हवाई रक्षा प्रणाली (Very Short Range Air Defence System – VSHORADS) का सफल परीक्षण किया. वो भी एक नहीं लगातार दो परीक्षण.

इस मिसाइल को जमीन पर मौजूद मैन पोर्टेबल लॉन्चर से दागा गया. यानी इसे कोई भी आराम से किसी भी जगह ले जाकर दाग सकता है. चाहे वह चीन की सीमा से सटे हिमालय के पहाड़ हों. या फिर पाकिस्तान से सटी रेगिस्तानी सीमा, या सियाचिन का ग्लेशियर. इसकी मदद से तेज गति से आने वाले विमान, फाइटर जेट, हेलिकॉप्टर, मिसाइल या ड्रोन को मार गिराया जा सकता है.

VSHORADS बेसिकली एक कम दूरी की इंटरसेप्टर मिसाइल है. जैसे रूस का S-400 एयर डिफेंस सिस्टम है. खास बात ये है कि इस हवाई सुरक्षा प्रणाली को देश में ही विकसित किया गया है. इसे बनाने में डीआरडीओ की मदद हैदराबाद स्थित रिसर्च सेंटर इमारत ने की है.

इस मिसाइल में कई तरह की नई आधुनिक तकनीकें लगाई गई हैं. जैसे- ड्यूल बैंड IIR सीकर, मिनिएचर रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम, इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स. इसका प्रोपल्शन सिस्ट ड्यूल थ्रस्ट सॉलिड मोटर है, जो इसे तेज गति प्रदान करता है. इस मिसाइल का इस्तेमाल भारतीय सेनाएं एंटी-एयरक्राफ्ट वॉरफेयर में कर सकती हैं.

VSHORADS का वजन 20.5 किलोग्राम होता है. इसकी लंबाई करीब 6.7 फीट है और व्यास 3.5 इंच. यह अपने साथ 2 किलोग्राम वजन का हथियार ले जा सकता है. इसकी रेंज 250 मीटर से 6 किलोमीटर है. अधिकतम 11,500 फीट तक जा सकता है. अधिकतम गति मैक 1.5 है. यानी 1800 किमी प्रतिघंटा. इससे पहले इसकी टेस्टिंग पिछले साल 27 सितंबर को की गई थी.

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