Indian U-17 टीम की कप्तान के नाम से बन रही सड़क, उसी के माता-पिता ही पसीने से सींच रहे सड़क

अष्टम उरांव भारतीय Under-17 टीम की कैप्टन हैं जो इन दिनों फीफा वर्ल्ड कप खेल रही हैं। वह झारखंड के गुमला जिले के माओवादियों के गढ़ में गोरराटोली की रहने वाली हैं, जिनके घर तक अभी तक सड़क नहीं पहुंची थी

गुमला
अष्टम उरांव भारतीय Under-17 टीम की कैप्टन हैं जो इन दिनों फीफा वर्ल्ड कप खेल रही हैं। वह झारखंड के गुमला जिले के माओवादियों के गढ़ में गोरराटोली की रहने वाली हैं, जिनके घर तक अभी तक सड़क नहीं पहुंची थी, लेकिन भारतीय फुटबॉल टीम की कैप्टन चुने जाने के बाद अष्टम के घर की ओर जाने वाली सड़क को जिला प्रशासन उनके नाम से बनवा रहा है। जिस समय उनकी बेटी की फुटबॉल खेलते हुए चर्चा दुनियाभर में हो रही है, उसी समय उनके मां-बाप मजदूरी करते हुए उसके नाम की सड़क बना रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह पहला मौका है जब झारखंड का कोई खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय टीम को नेतृत्व कर रही है। तमाम मुश्किलों के बाद भी अष्टम ने कड़ी मेहनत करके और अपने दम पर यह मुकाम हासिल किया है। उनके माता-पिता अपनी बेटी के नाम पर बन रही सड़क पर काम करके गर्व महसूस कर रहे हैं।

बेटी के नाम पर बन रही सड़क में काम करके गर्व है: मां तारा देवी

अष्टम उरांव के पिता हीरालाल उरांव और माता तारा देवी से जब एक निजी चैनल ने बेटी के नाम पर बन रही सड़क के बारे में सवाल किया तो अष्टम की मां ने कहा कि “हमारी बेटी के नाम पर जो सड़क बन रही है, उसके लिए काम करने पर हमें गर्व है।”

पांच बच्चों में से 1 बच्चे ने हासिल किया लक्ष्य: अष्टम के पिता हीरालाल उरांव

जब अष्टम के पिता हीरालाल उरांव से सवाल किया गया कि वह बेटी के भारतीय टीम के कैप्टन बनने के बाद भी काम क्यों कर रहे हैं? तो उन्होंने बड़ी ही शालीनता से कहा कि “अभी पांच बच्चों में से केवल एक ने अपना लक्ष्य हासिल किया है। हम बाकी बच्चों के भविष्य के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

इसके साथ ही हीरालाल उरांव ने कहा कि “हमारे पूर्वज युगों से दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं और हमारी स्थिति में कुछ भी नहीं बदला है। इसके अलावा, हमें अभी भी बाकी चार बच्चों को खाना खिलाना है। इसलिए, हम तब तक काम नहीं छोड़ सकते जब तक वे अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते हैं।”

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