कहानी : अग्निपरीक्षा

नताशा हर्ष गुरनानी, लेखिका
Story: अग्निपरीक्षा

एक दिन दोपहर को घर के काम निपटा कर निशा किराने की दुकान से घर का सामान लेने जा रही थी कि अचानक उसके चेहरे पर कुछ पानी जैसा लगा और उसका चेहरा जलने लगा।

आह! आह! ये क्या है जल रहा है? एक झलक देखा तो एक लड़का हाथ में बॉटल लिए भाग रहा था।

पर निशा को इतनी जलन हो रही थी कि उसकी आह अब चीख में बदल गई थी।

आस पड़ोस के लोग इकट्ठा हो गए और उसे वही पास के अस्पताल में ले गए किसी परिचित ने उनके पति राजेश को फोन कर दिया वो भी ऑफिस से जल्दी आ गए।

अस्पताल जाकर पता चला कि किसी ने निशा के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया है।

अब हुई आस पड़ोस में कई तरह की बाते और निशा को अब हर दिन, हर पल, हर जगह, हर नजर को देनी होती अग्नि परीक्षा

अरे ऐसे कोई किसी के उपर तेजाब फेकता है क्या, जरूर इसका कही चक्कर होगा, हे भगवान दो प्यारे प्यारे बच्चो की मां, इतना अच्छा पति फिर भी बाहर चक्कर।

सही कहा तुमने, जब देखो कितना तैयार रहती है, हर समय मोबाइल में बात करती है, और सोशल मीडिया पर भी कितनी शायरियां लिखती है पक्का चक्कर हो इसका।

दिखने में लगता था कि बहुत सुखी परिवार है दोनो का, अपने आप में खुश है पर इसके लक्षण देख लगता है बाहर कांड करोगे तो ये हाल तो होगा ही।

निशा अस्पताल से घर आ गई पर कल तक जो पड़ोसी उसे देख उसकी तारीफ करते ना थकते वो आज उसके चरित्र पर उंगली उठाते देर न करते।

चेहरा ज्यादा तो नहीं पर हां कही कही से जल जाने के कारण भद्दा दिखने लगा था।

और वो हर पल रोती रहती पर उसका पति राजेश हर पल उसके साथ मजबूती से खड़ा रहा।

और राजेश ने पुलिस की मदद से सीसीटीवी कैमरे से सारा कैसे सुलझा लिया।

एक लड़का किसी लड़की पर तेजाब फेंक रहा था वो भागी और निशा वहां आ गई और उसे तेजाब लग गया।

वो लड़का भी पकड़ा गया और निशा को जो लोग ताने मारते थे वो भी अब शर्मिंदा थे।

निशा भगवान के आगे हाथ जोड़े खड़ी उनका धन्यवाद कर रही थी कि प्रभु आपने मुझे राजेश जैसे समझदार जीवनसाथी दिए जिन्होंने मुझे कोई दोष ना देते हुए मुझसे किसी तरह की कोई अग्नि परीक्षा नहीं मांगी बल्कि हर कदम पर मेरा साथ देकर मुझे गर्व से जीने की एक नई उम्मीद दे दी।

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