Guru Pradosh Vrat 2023: जाने कब है गुरु प्रदोष व्रत, जानें शिव पूजा मुहूर्त

Guru Pradosh Vrat 2023: पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 जून गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो जाएगी और य​ह अगले दिन 2 जून शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक मान्य रहेगी.

Guru Pradosh Vrat 2023: जून 2023 का पहला प्रदोष व्रत गुरुवार को है. इस वजह से यह गुरु प्रदोष व्रत है. यह ज्येष्ठ माह का अंतिम प्रदोष व्रत होगा. हर माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है.

दिन के अनुसार प्रदोष व्रत का फल भी अलग-अलग होता है. गुरु प्रदोष व्रत और शिव पूजा करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है. यदि आप अपने दुश्मन को हराना चाहते हैं या उस पर अपना प्रभाव जमाना चाहते हैं तो आपको गुरु प्रदोष व्रत रखना चाहिए. आइए जानते हैं गुरु प्रदोष व्रत कब है? शिव पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?

Guru Pradosh Vrat 2023 तिथि

पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 1 जून गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो जाएगी और य​ह अगले दिन 2 जून शुक्रवार को दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक मान्य रहेगी. ऐसे में जून का पहला प्रदोष व्रत या गुरु प्रदोष व्रत 1 जून को रखा जाएगा.

गुरु प्रदोष व्रत 2023 पूजा मुहूर्त

1 जून को गुरु प्रदोष व्रत की शिव पूजा का मुहूर्त शाम को 07 बजकर 14 मिनट से रात 09 बजकर 16 मिनट तक है. इस दिन आपको शिव पूजा के लिए दो घंटे से अधिक का समय प्राप्त होगा. शिव पूजा के समय अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त भी है. यह शाम 07 बजकर 14 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक है, उसके बाद चर-सामान्य मुहूर्त है. जो रात 08 बजकर 30 मिनट से रात 09 बजकर 47 मिनट तक है.

प्रदोष व्रत का महत्व

प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा के लिए रखा जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं और व्रत कथा सुनते हैं. भगवान शिव के आशीर्वाद से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस व्रत को रखने से शत्रुओं पर विजय, धन, संपत्ति, संतान, सुख आदि की प्राप्ति होती है. दुख मिटते हैं, रोग और ग्रह दोष भी दूर होते हैं.

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि

प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा करें. उनको बेलपत्र, भांग, फूल, शमी के पत्ते, धतूरा, गंगाजल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. प्रदोष व्रत क​था सुनें. शिव जी की आरती करें. फिर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें. फिर अगले दिन सुबह सूर्योदय बाद पारण करके व्रत को पूरा करें.

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