US ने मुशर्रफ को दे थी पाषाण युग में पहुंचाने की धमकी

9/11 हमले के बाद पाकिस्तान पर बमबारी करने की धमकी दी थी. US ने कहा था कि अगर राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अफगानिस्तान में अमेरिका के युद्ध में सहयोग नहीं किया, तो वह इतनी बमबारी करेगा कि पाकिस्तान स्टोन एज (पाषाण युग) में पहुंच जाएगा.

कराची
अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद पाकिस्तान पर बमबारी करने की धमकी दी थी. US ने कहा था कि अगर राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अफगानिस्तान में अमेरिका के युद्ध में सहयोग नहीं किया, तो वह इतनी बमबारी करेगा कि पाकिस्तान स्टोन एज (पाषाण युग) में पहुंच जाएगा. इस बात का जिक्र खुद राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब में किया था.

राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने अपनी किताब In the Line of Fire: A Memoir में इस घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा कि पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के चीफ 9/11 के हमले के समय वाशिंगटन में थे, तब अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री रिचर्ड आर्मिटेज ने उन्हें धमकी दी थी.

समाचार एजेंसी के मुताबिक, परवेज मुशर्रफ ने 9-11 हमलों के बाद की स्थिति का जिक्र करते हुए लिखा, अब तक के सबसे अराजनयिक बयान में रिचर्ड आर्मिटेज ने ISI चीफ से कहा कि पाकिस्तान को तय करना है कि वे अमेरिका के साथ हैं, या आतंकवादियों के साथ. अगर पाकिस्तान ने आतंकवादियों को चुना, तो फिर हमें पाषाण युग में ले जाने वाले बम हमलों के लिए तैयार रहना चाहिए. मुशर्रफ के मुताबिक, यह आश्चर्यजनक खुली धमकी थी, लेकिन यह स्पष्ट था कि अमेरिका ने करारा पलटवार करने का फैसला किया था.

अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में शामिल होने के अपने कदम का बचाव करते हुए मुशर्रफ ने किताब में लिखा, उनका ‘निर्णय अपने लोगों की भलाई के लिए और अपने देश के सर्वोत्तम हित पर आधारित था. उन्होंने लिखा, ‘यदि हम अमेरिका का समर्थन नहीं करते तो हिंसक और क्रोधित प्रतिक्रियाओं का सामना करना होता. ऐसे में सवाल यह था कि अगर हम उनके साथ शामिल नहीं होते, तो क्या हम उनके हमले का सामना कर सकते हैं? जवाब था नहीं, हम नहीं कर सकते थे…’

परवेज मुशर्रफ ने लिखा, अमेरिका का समर्थन करने से हमें कई फायदे मिले. जनरल मुशर्रफ ने अपनी किताब में लिखा, 13 सितंबर, 2001 को पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत वेंडी चेम्बरलेन ने उन्हें सात मांगों का एक पत्र दिया था, जिसमें ऊपर से उड़ान भरने और विमान उतारने के अधिकार शामिल थे.

मुशर्रफ ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी सेना को सीमा चौकियों और ठिकानों को सौंपने जैसी अमेरिका की कुछ मांगों का विरोध किया था. उन्होंने लिखा, ‘हम अपनी सामरिक संपत्ति को खतरे में डाले बिना अमेरिका को अपने क्षेत्र के ऊपर से उड़ान भरने और विमान उतारने के अधिकारों की अनुमति कैसे दे सकते थे? मैंने सिर्फ एक उड़ान कॉरिडोर की पेशकश की थी, जो किसी भी संवेदनशील क्षेत्र से दूर था. पाकिस्तान ने काबुल में तालिबान सरकार को अपना समर्थन छोड़ दिया और अमेरिका को पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति दी थी.

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