हार्दिक, जाखड़, अब सिब्बल, कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद तीन बड़े नेता छोड़ी पार्टी

नई दिल्ली
इस्तीफा जा चुका था। 10 दिन तक न तो कांग्रेस ने बताया, न ही कपिल सिब्बल ने इस पर कुछ बोला। 25 मई को अखिलेश के अंगने से राज्यसभा का पर्चा भरने के बाद सिब्बल ने इस पर चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा वह 16 मई को ही कांग्रेस छोड़ चुके हैं। 10 दिन की यह खामोशी बताती है कि सिब्बल और कांग्रेस के रिश्ते में बर्फ किस हद तक जम चुकी थी। इस हद तक कि दोनों एक-दूसरे से पिंड छुड़वाना चाहते थे। इधर मौके का इंतजार था। उधर, मान-मनौव्वल की कोई गुंजाइश नहीं बची थी। 25 मई को यह रिश्ता खत्म हो गया।

हाशिए पर थे सिब्बल, छोड़ गए साथ
कांग्रेस में बागी धड़े ग्रुप-23 के नंबर-2 कपिल सिब्बल पार्टी में हाशिए पर थे। उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर में सिब्बल नहीं पहुंच थे। हालांकि, उनको बुलावा आया था। लेकिन शायद तबतक दोनों के बीच बात इतनी बिगड़ चुकी थी कि वापसी के रास्ते बचे नहीं थे। हालांकि, सिब्बल ने अपने इस्तीफे की घोषणा के बाद कांग्रेस पर कोई कमेंट नहीं किया है। वह राज्यसभा का चुनाव भी समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय लड़ रहे हैं। एक जमाने में यूपीए सरकार के दौरान सिब्बल की कांग्रेस में तूती बोलती थी। लेकिन समय बदला, जमाना बदला और सिब्बल के सुर भी बदल गए थे। उन्होंने सीधे-सीधे गांधी फैमिली की चुनौती दे दी थी। ऐसे में उनके पास बहुत ज्यादा रास्ते बचे नहीं थे।
बहुत सारे लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं, कांग्रेस के बाहर हैं, वे सब हमारे हैं। उनको अंदर लाओ। और जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो। चलो भइया जाओ। आरएसएस की ओर जाओ। भागो। मजे लो। नहीं चाहिए। जरूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग चाहिए। यह हमारी विचारधारा है। यह मेरा बेसिक मेसेज है।

कांग्रेस ने अपना लिया राहुल स्टाइल?
सवाल उठ रहा है आखिर कांग्रेस इन नेताओं को मनाने क्यों नहीं जा रही है। तो इसका जवाब आपको एक साल पहले के राहुल गांधी के एक बयान से मिलेगा। जिसमें राहुल यह कहते दिख रहे हैं कि उनकी पार्टी को डरपोक नेताओं की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कहा था कि जो डरते हैं वो कांग्रेस छोड़कर चले जाएं। चिंतन शिविर के बाद रूठों या बागियों को न मनाने की कांग्रेस के रुख के पीछे क्या है? क्या कांग्रेस उदयपुर के चिंतन शिविर के बाद राहुल गांधी के उसे रास्ते पर चल रही है जो पिछले साल में जुलाई में कांग्रेस नेता ने कहा था। उन्होने कहा था, 'बहुत सारे लोग हैं जो डर नहीं रहे हैं, कांग्रेस के बाहर हैं, वे सब हमारे हैं। उनको अंदर लाओ। और जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो। चलो भइया जाओ। आरएसएस की ओर जाओ। भागो। मजे लो। नहीं चाहिए। जरूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग चाहिए। यह हमारी विचारधारा है। यह मेरा बेसिक मेसेज है।'

उदयपुर चिंतन शिविर के बाद कई नेता बिछड़े
राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस के चौथे चिंतन शिविर के बाद पार्टी के तीन नेता 'हाथ' छोड़ चुके हैं। कांग्रेस ने इस चिंतन शिविर में युवाओं को मौका देने का फैसला किया था। लेकिन चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस को एक के बाद एक झटके लगे हैं। पहले पंजाब के दिग्गज नेता सुनील जाखड़ ने कांग्रेस को टाटा गुडबॉय कहा। इसके बाद गुजरात से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ी और अब सिब्बल। इन नेताओं के पार्टी छोड़ने से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कांग्रेस अपने लोगों को रोक क्यों नहीं पा रही है?

चिंतन शिविर के दौरान ही जाखड़ ने कहा गुडबॉय
जाखड़ ने उदयपुर में चल रहे चिंतन शिविर के दौरान ही कहा था कि पार्टी को खुद में सुधार करना होगा। चिंतन नहीं, चिंता करने की जरूरत है। उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर दिल की बात की। सुनील जाखड़ ने कहा था कि उनके परिवार की 3 पीढ़ियों ने 50 साल तक कांग्रेस की सेवा की। इसके बावजूद पार्टी लाइन पर नहीं चलने के लिए “पार्टी के सभी पदों को छीन लिए जाने से मेरा दिल टूट गया था। एक वक्त में जाखड़ कांग्रेस के पंजाब में बड़े नेता था। लेकिन हालात ने करवट बदला और उन्हें राज्य में साइडलाइन कर दिया गया। पार्टी ने जाखड़ को मनाने की भी कोशिश नहीं की।

हार्दिक ने छोड़ा हाथ का साथ
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका देते हुए हार्दिक पटेल ने इस्तीफा दे दिया था। हार्दिक पटेल हाल ही में राज्य के कांग्रेस नेताओं की आलोचना करने के साथ चर्चा में आए थे। उन्होंने कांग्रेस के कुछ नेताओं पर परेशान करने का आरोप भी लगाया था। पटेल ने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी से कई बार शिकायत करने के बावजूद इन नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। हार्दिक को तो कांग्रेस नेतृत्व ने तो कोई भाव ही नहीं दिया था।

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