नाथ ने बुलाई जिलों की रायशुमारी से बनी लिस्ट

भोपाल
प्रदेश कांग्रेस में महापौर प्रत्याशी चयन के बाद  जितना हल्ला नहीं मचा उससे ज्यादा पेंच पार्षद के टिकटों को लेकर फंस गया है। भोपाल, खंडवा, बुरहानपुर, रतलाम, सागर सहित कई नगर निगम वाले शहरों में पार्षदों के टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी को पसीना आ गया है। जिला स्तर पर तमाम प्रयास के बाद भी एक राय नहीं हो पा रही है, अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ कुछ  शहरों के पार्षद उम्मीदवारों के नाम तय करेंगे।

भोपाल में हालत यह हो चुकी है कि पार्षद के टिकट के चयन में स्वयं दिग्विजय सिंह को मोर्चा संभालना पड़ा। हद तो तब हो गई जब कुछ दावेदारों को मनाने के लिए दिग्विजय सिंह को उनके घर पर जाना पड़ा। इसके बाद भी कुछ मानने को तैयार रही हैं। बताया जाता है कि भोपाल में आठ से दस वार्डो में पेंच फंसा हुआ है। जिसमें कोलार के कुछ वार्ड भी शामिल हैं। अब कमलनाथ ही यहां की सूची को अंतिम रूप देंगे। इधर बुरहानपुर में निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा, पूर्व विधायक हमीद काजी और रविंद्र महाजन ने अपने-अपने समर्थकों को पार्षद का टिकट दिलाने पर अड़े हुए हैं। इन तीनों ने कुल 48 वार्डो वाली परिषद में से 32 वार्डो में टिकट मांग लिए हैं।

इनमें से अधिकांश वार्ड अल्पसंख्यक बाहुल्य हैं। यहां से कांग्रेस के जीतने की संभावना ज्यादा रहती है। यहां पर पूर्व सांसद एवं प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अरुण यादव के खेमे के लिए सिर्फ 16 वार्ड ही ये तीनो नेता छोड़ना चाहते हैं। इनमें भी वे वार्ड अधिक हैं जहां पर कांग्रेस ही हालत बहुत अच्छी नहीं मानी जाती है। इंदौर से लेकर भोपाल तक यहां के पार्षदों को लेकर मंथन चल रहा है।

खंडवा में नहीं बनी एक राय
खंडवा के पार्षद चयन के लिए अब तक हुई बैठकों में एक राय नहीं बन सकी, नतीजे में आज शाम को यहां पर सात बजे कांग्रेस कार्यालय में बैठक बुलाई गई है। जिसमें अरुण यादव मौजूद रह सकते हैं। इसके बाद यहां से भोपाल नाम भेजे जाएंगे, जहां पर अंतिम मुहर लगेगी। यहां पर भी अरुण यादव गुट को दरकिनार किये जाने के आरोप लग रहे हैं। बताया जाता है कि संगठन ने श्रीदादाजी, भवानी माता, कुंडलेश्वर, विनोबा भावे, शास्त्री नगर से पार्षद उम्मीदवार लगभग तय कर लिए थे, लेकिन अरुण यादव समर्थक लक्ष्मी यादव को महापौर का टिकट नहीं मिलने से आधा दर्जन ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया।

रतलाम मेयर प्रत्याशी पर अभी भी पेंच
इधर रतलाम में महापौर के प्रत्याशी को लेकर पेंच फंसा ही हुआ है। मयंक जाट के मामले पर कोर्ट का फैसला अब 17 जून को आना है। यहां पर मयंक जाट को सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा था, कांग्रेस यहां से अब या तो जाट को प्रत्याशी बनाएगी या फिर राजीव रावत को टिकट देगी। इसके चलते पार्षदों के टिकट को लेकर भी असमंजस बना हुआ है। उज्जैन में भी अब तक टिकटों को लेकर असमंजस बना हुआ है। सागर में ही यही हालत हैं, यहां पर पिछले बार के कांग्रेस के दो पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे। इसलिए कांग्रेस इस बार यहां पर फूंक-फूंक कर टिकट देना चाह रही है। इसके चलते कई दावेदार अभी से नाराज हो गए हैं।

 

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