तीस्ता निडर हैं, वे डरती नहीं हैं. इसलिए भाजपा उनसे नाराज – दिग्विजय सिंह

   भोपाल
 

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ्तारी को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. दिग्विजय सिंह ने कहा, तीस्ता सीतलवाड़ वो शख्सियत हैं, जिनके परिवार ने ब्रिटिश हुकूमत से लड़ाई लड़ी. इतना ही नहीं दिग्विजय सिंह ने कहा, तीस्ता निडर हैं, वे डरती नहीं हैं. इसलिए भाजपा उनसे नाराज है.
 
दिग्विजय सिंह ने कहा, ये वही तीस्ता सेतलवाड़ हैं जिनके बाबा एमसी सेतलवाड़ देश के पहले अटॉर्नी जनरल थे. ये वही तीस्ता सेतलवाड़ हैं, जिनके परबाबा चिमणलाल हरिलाल सेतलवाड ने जालियावाला बाग में 400 हिंदुस्तानियों को मार देने वाले जनरल डायर के खिलाफ ब्रिटिश अदालत में मुकदमा लड़ा और डायर को कोर्ट मार्शल कराया, उसे डिमोट कराया.

दिग्विजय सिंह ने फेसबुक पोस्ट पर लिखा, तीस्ता सेतलवाड़ के परबाबा भीमराव आंबेडकर के बहिष्कृत हितकारिणी सभा के फाउंडिंग प्रेसिडेंट थे! उन्होंने कहा, ये वही तीस्ता हैं जो दंगो में मारे गए सैकड़ो हिंदुओ के न्याय की लड़ाई ही नहीं लड़तीं, बल्कि दर्जनों की शिक्षा दीक्षा का काम भी देखती हैं.

तीस्ता ने हिदुओं की लड़ाई भी लड़ी

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, 1993 मुंबई ब्लास्ट में मारे गए हिंदुओं की लड़ाई तीस्ता ने लड़ी. सरकार से मदद दिलाई. लेकिन कोई हिंदू नहीं मानता, क्योंकि ब्लास्ट में मरने वाले ठेले वाले थे और आम नागरिक थे. पूरा परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी आम लोगों की लड़ाई लड़ता रहा है. तीस्ता के पिता भी जाने माने बैरिस्टर थे और जनहित के मुद्दों पर लड़ने के लिए जाने जाते हैं.
 
दिग्विजय सिंह ने कहा, ये लोग देशभक्ति का ढोंग नहीं करते. इनकी तीन पीढ़ियां आम लोगों के लिए गोरे अंग्रेजों से लड़ी हैं और स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ी काले अंग्रेजों से लड़ रही है.

क्यों गिरफ्तार हुईं तीस्ता?

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते जकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने एसआईटी द्वारा गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने के फैसले को चुनौती दी थी. इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ समेत दो पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट और आरबी श्रीकुमार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया था. इसके बाद गुजरात एटीएस ने मुंबई के जुहू पहुंचकर तीस्ता सीतलवाड़ को उनके घर से गिरफ्तार कर लिया था. एफआईआर के मुताबिक आरोपियों ने जकिया जाफरी के जरिए कोर्ट में कई याचिकाएं लगाईं और एसआईटी प्रमुख और दूसरे आयोग को गलत जानकारियां दीं.

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