प्रयागराज: बाढ़ कंट्रोल रूम खुला, उफान पर है यमुना नदी, तटीय इलाकों में हलचल

प्रयागराज
प्रयागराज में गंगा नदी तो नहीं, यमुना नदी उफान पर है। जलस्‍तर लगातार बढऩे से अब यमुना उफान पर आ गई हैं। इससे संगम क्षेत्र तो जलमग्न हो गया है। साथ ही बलुआघाट, गऊघाट, अरैल तथा संगम के आसपास के कई घाट डूब गए हैं। इससे नदी के तटीय इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है। ऐसा इसलिए कि प्रतिवर्ष बाढ़ से इन इलाकों में काफी नुकसान लोगों को उठाना पड़ता है।

तटीय इलाके के लोग समेटने लगे सामान : यमुना के साथ ही गंगा के तटीय इलाकों में लोग अपने सामान समेट कर सुरक्षित स्थानों पर जाने लगे हैं। गंगा, यमुना और संगम के विभिन्न घाटों से तीर्थ पुरोहित तथा घाटिए भी अपने बक्से-चौकी आदि सामान सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैैं। नदी के किनारे बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है। तराई के गांवों में अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश भी दे दिए गए हैं।

24 घंटे में यमुना का कितना बढ़ा जलस्‍तर : यमुना का जलस्तर प्रयागराज में पिछले 24 घंटे में एक मीटर बढ़ा है। तीन दिनों के दौरान दो मीटर जलस्तर बढ़ा है। सोमवार को 75.86 मीटर यमुना का जलस्तर था जो मंगलवार को बढ़कर 76.85 मीटर पर पहुंच गया है।

बाढ़ कंट्रोल रूम नंबर
9550105231
0532 2504313

बाढ़ संबंधित जानकारी ले सकेंगे : बाढ़ संबंधित जानकारी के लिए कंट्रोल रूम में 24 घंटे संपर्क कर जानकारी ली जा सकती हे। प्रशासन की ओर से बाढ़ की आशंका को देखते हुए कंट्रोल रूम खोल दिया गया है। नदियों का पानी कितना बढ़ रहा है, बढ़ने की रफ्तार क्‍या है आदि की जानकारी आम लोग ले सकते हैं।

क्‍या कहते हैं बाढ़ खंड के अधिकारी : सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में हो रही तेज वर्षा के चलते केन व बेतवा नदियों का पानी माताटीला समेत कई अन्य बाधों तथा बैराजों से छोड़ा जा रहा है, जो यमुना में आ रहा है। इसके कारण ही प्रयागराज में यमुना का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है। दूसरी ओर घाटों पर कीचड़ होने से स्नानार्थियों को दिक्कत होने लगी है।

इन गांवों में पहुंचने लगा यमुना का पानी : दारागंज के दशाश्वमेध घाट पर कांवडिय़ों को कीचड़ से ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है। इसी घाट से कांवडि़ए जल भरते हैैं। यमुना किनारे के गांवों महेवा, मोहब्बतगंज, मड़ौका, पालपुर, मड़कैनी, बसवार, पड़ुआ, भीटा आदि गांवों में बाढ़ का पानी खेतों में पहुंचने लगा है। नालों के माध्यम से पानी बस्तियों की ओर बढऩे लगा है।

Deepak Vishwakarma

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