Premananda Maharaj ने बताया राधा रानी का जाप साढ़ेसाती से लेकर 9 ग्रहों के अशुभ प्रभावों को करता है खत्म
Premananda Maharaj : देश के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि अगर राधा रानी का जाप पूरे मन और श्रद्धा से किया जाए तो 9 ग्रहों के असुभ प्रभावों को खत्म कर व्यक्ति का भाग्य चमका देता है।

Premananda Maharaj: उज्जवल प्रदेश डेस्क. देश के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि अगर राधा रानी का जाप पूरे मन और श्रद्धा से किया जाए तो 9 ग्रहों के असुभ प्रभावों को खत्म कर व्यक्ति का भाग्य चमका देता है। सनातन धर्म के लोगों के लिए कर्मों का विशेष महत्व है।
कहते हैं कि जो आदमी बुरे काम करता है, उनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति धीरे धीरे कमजोर होने लगती है। वहीं अच्छे कर्म करने से ग्रहों का संतुलन बना रहता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में सफलता मिलने की संभावना और बढ़ जाती है।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य, शुक्र, चन्द्रमा, बुध, मंगल, शनि, गुरु, राहु तथा केतु कुल 9 ग्रह हैं, इनका अपना अलग महत्व होता है। खासकर कुंडली में मात्र एक ग्रह के कमजोर होने से आदमी को शारीरिक समस्याओं से लेकर मानसिक और आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
प्रेमानंद महाराज ने बताये ये उपाय
एक प्रवचन में प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि शनि की साढ़ेसाती से लेकर 9 ग्रहों को मजबूत करने के एक सरल उपाय के बारे में बता रहे हैं। उनका मानना है कि यदि कोई आदमी उनके द्वारा बताए गए इस उपाय को सच्चे मन से करता है, तो उसका जीवन खुशियों से भरा रहेगा । प्रेमानंद महाराज द्वारा बताए गए उसी एक उपाय के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
अशुभ प्रभावों को भी कम किया जा सकता है
प्रेमानंद महाराज ने कहा है कि कोई आदमी सच्चे मन से राधा रानी के नाम का जाप करता है, तो उसे अपनी हर परेशानियां से छुटकारा मिल सकता है। यहां तक कि शनि की साढ़ेसाती से लेकर 9 ग्रहों के अशुभ प्रभाव भी कम हो सकते हैं।
नकारात्मक विचार और आलस खत्म होता है
प्रेमानंद ने कहा है कि देवी-देवताओं के नाम में प्रभावशाली व अद्भुत चमत्कार होता है। जिसके सही उच्चारण से पापों से मुक्ति मिल सकती है। उन्होंने कहा है कि नाम जाप में न तो ज्यादा मेहनत लगती है और न ही पैसे खर्च होते हैं। हम कहीं पर भी बैठे-बैठे भगवान के नाम का स्मरण कर सकते हैं। भगवान का नाम लेने से मन-दिमाग शांत होता है और एकाग्रता की शक्ति बढ़ती है। इसके अलावा मन में उत्पन्न नकारात्मक विचार और आलस खत्म होता है।
गृह क्लेश, बुरी नजर नहीं लगती
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि जन्म राशि से पहले, दूसरे या 12वें भाव में होता है, तो उस स्थिति को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है। कुंडली में शनि की साढ़ेसाती के कारण व्यक्ति को सबसे ज्यादा मानसिक तनाव रहता है। इसके अलावा गृह क्लेश, बुरी नजर और पैसों की कमी का सामना करना पड़ता है।
शनि की साढ़ेसाती के ये हैं संकेत
- हथेली की रेखाओं का धीरे धीरे रंग काला या नीला होना
- माथा काला पड़ते जाना
- हर समय परेशान होना
- बात-बात पर क्रोध आना
- नकारात्मक विचार हावी होना
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