अनंत चतुर्दशी: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत का तरीका, होगी बप्पा की विदाई

भाद्रपक्ष मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को हर साल अनंत चतुर्दशी मनाई जाती है। इस बार यह चतुर्दशी 23 सितंबर, शनिवार को है। अनंत का अर्थ है, जिसका ना आदि है और ना ही अंत है अर्थात वह भगवान विष्णु है। महिला और पुरुष दोनों ही इस व्रत को कर सकते हैं। इस दिन अनंत सूत्र बांधा जाता है, इसको बांधने से सौभाग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है और सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश विसर्जन किया जाता है।
श्रीकृष्ण ने बताया अनंत सूत्र का महत्व
14 गांठ वाले धागे को बाजू में बांधने से भगवान विष्णु जो आदि और अनंत से परे हैं उनकी कृपा होती है। अनंत चतुर्दशी का संबंध महाभारत काल से भी है। कौरवों से जुए में हारने के बाद पांडव जब वन-वन भटक रहे थे, तब एक दिन श्रीकृष्ण पाण्डवों के पास आए और युधिष्ठिर से कहा कि हे धर्मराज जुआ खेलने के कारण आपकी माता लक्ष्मी आपसे नाराज हो गईं हैं। इन्हें प्रसन्न करने लिए आपको अपने भाइयों के साथ अनंत चतुर्दशी का व्रत रखना चाहिए। श्रीकृष्ण कहते हैं कि भाद्र शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन कच्चे धागे में 14 गांठ लगाकर कच्चे दूध में डूबोकर ओम अनंताय नमः मंत्र से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इससे सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
अनंत चतुर्दशी: तिथि और शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 23 सितंबर को सुबह 05 बजकर 43 मिनट।
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 24 सितंबर को सुबह 07 बजकर 17 मिनट।
सुबह के समय चर्तुदशी पूजा का मुहूर्त: 23 सितंबर को सुबह 06 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक।
दोपहर के समय चर्तुदशी पूजा मुहूर्त: 23 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 47 मिनट से शाम 4 बजकर 35 मिनट तक।
जानें पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी पर सुबह सबसे पहले स्नान आदि कार्यों से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। पूजा कलश की स्थापना कर भगवान विष्णु की तस्वीर सामने रखें। इसके बाद कलश पर अष्ट दल व फूल रखें और कुषा का सूत्र चढ़ाएं। इसके बाद पूजा स्थल पर सूत में कुमकुम, हल्दी लाकर 14 गांठ के अनंत सूत्र को तैयार करें, फिर इसे भगवान विष्णु के पास चढ़ा दें। इसके बाद पुरुष दाएं हाथ में और महिला बाएं हाथ पर बांध लें। इसके बाद सूत्र की पूजा करें और इस मंत्र को पढ़ें अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव। अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और प्रसाद ग्रहण करें।
गणपति का भी किया जाता है विसर्जन
इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बहुत उत्तम माना जाता है। वहीं कुछ लोग इस दिन घरों में सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं। इस दिन गणेश विसर्जन भी होता है। जिसे देशभर में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान गणेश का जन्म उत्सव पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है और 11वें दिन उन्हें गाजे-बाजे, धूम-धड़ाके के साथ विदा कर विसर्जित किया जाता है। इस दिन भक्तजन गणपति बप्पा को विसर्जन करते हैं और अगली बार जल्दी आने की कामना करते हैं।