ऐसे मनाएं जन्माष्टमी का पर्व, दूर होंगे सभी संकट

नई दिल्ली             
भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को होने के कारण इसको कृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं. इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान, आयु तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है. जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे आज विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं.

किस प्रकार मनाएं जन्माष्टमी का पर्व?

– प्रातःकाल स्नान करके व्रत या पूजा का संकल्प लें.

– दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें.

– मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें.  

– उस प्रतिमा को पहले दूध, फिर दही, फिर शहद, फिर शर्करा से और अंत में घी से स्नान कराएं.

– इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं, इसके बाद जल से स्नान कराएं.

– ध्यान रखें की अर्पित की जाने वाली चीज़ें शंख में डालकर ही अर्पित की जाएंगी.

– तत्पश्चात पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें.

– इसके बाद भगवान को झूले में बैठाकर झूला झुलाएं.  

स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए-

– भगवान कृष्ण का पंचामृत और जल से अभिषेक करें.

– इसके बाद भगवान को लाल वस्त्र अर्पित करें.

– उन्हें 27 बार झूला झुलाएं.

– चढ़ाया गया पंचामृत प्रसाद की तरह ग्रहण करें.

आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए-

– भगवान कृष्ण का सुगन्धित जल से अभिषेक करें.

– उन्हें गुलाबी रंग के वस्त्र अर्पित करें.

– इसके बाद उन्हें 9 बार झूला झुलाएं.

– चढ़ाया गया सुगन्धित जल एकत्र करके पूरे घर में छिड़क दें.

रोजगार और नौकरी में सफलता के लिए-

– भगवान कृष्ण को सफेद चंदन और जल अर्पित करें.  

– उन्हें गुलाब के फूलों की माला चढाएं, चमकदार सफेद रंग के वस्त्र पहनाएं.

– उन्हें 18 बार झूला झुलाएं.  

– चढ़ाई गई माला अपने पास सहेज कर रख लें.

– सफेद चंदन का तिलक लगाते रहें.  

शीघ्र विवाह के लिए-

– भगवान कृष्ण का दुग्ध और जल से अभिषेक करें.

– इसके बाद उन्हें वैजयंती की माला और पीले वस्त्र अर्पित करें.

– उन्हें 9 बार झूला झुलाएं.

– "राधावल्लभाय नमः" का 108 बार जाप करें.

– दुग्ध और जल को प्रसाद की तरह ग्रहण करें.

संतान प्राप्ति के लिए-

– भगवान कृष्ण का पंचामृत से अभिषेक करें.

– भगवान को पीले वस्त्र और पीले फूल अर्पित करें.

– उन्हें माखन मिसरी का भोग लगाएं और 27 बार झूला झुलाएं.

– "ॐ क्लीं कृष्णाय नमः" का 11 माला जाप करें.

– चढ़ाया गया पंचामृत प्रसाद की तरह ग्रहण करें.

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