शारदीय नवरात्रि 2018: वास्तु के अनुसार करें माँ दुर्गा की स्थापना, पूरी होगी सभी मनोकामनाएं

नवरात्रि का पावन पर्व 10 अक्टूबर बुधवार से शुरू होने वाला है। इस दौरान सभी भक्त पूरे नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग अलग रूपों की उपासना करके उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
नवरात्रि का समय माता की पूजा के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है इसलिए कुछ बातें ऐसी होती हैं जिनका विशेष ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है ताकि देवी अप्रसन्न न हो।

आज इस लेख में हम आपको माता की पूजा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे, जो आपकी प्रार्थना को और पावन ढंग से माता के दरबार तक लेकर जा पाएंगी। जी हां, इस नवरात्रि आप वास्तु को ध्यान में रख कर अगर देवी की पूजा पाठ करेंगे तो निश्चित तौर पर आपको आपकी पूजा का फल मिलेगा। यदि आपने इन बातों का ध्यान नहीं रखा तो हो सकता है इस बार आपकी पूजा अधूरी ही रह जाए। तो आइए जानते हैं कैसे बनाएं इस नवरात्रि अपनी पूजा को सफल।

1.सबसे पहले माता की स्थापना के स्थान को ध्यान में रखना चाहिए। वास्तुशास्त्र में ईशान कोण को बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है यहां सबसे ज़्यादा सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है इसलिए इस स्थान को देवी देवता के स्थान के रूप में देखा जाता है। इस नवरात्रि आप माता की मूर्ति या चित्र की स्थापना इसी दिशा में करें।

2.माता की मूर्ति या चित्र की स्थापना चंदन की लकड़ी से बने चौकी पर ही करें क्योंकि वास्तुशास्त्र में चंदन को बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का भी वास होता है और माता भी प्रसन्न होती है।

3.नवरात्रि के दौरान अगर आप पूरे नौ दिनों तक अखंड ज्योत जलाने का संकल्प लेते हैं तो दिए को पूजा के स्थान पर आग्नेय कोण में रखें। इससे आपके घर में सुख और शांति बनी रहेगी। साथ ही आप नकारात्मक ऊर्जा से भी दूर रहेंगे।

4. पूजा करते वक़्त अपना मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर ही रखें। ध्यान रहे दक्षिण दिशा में न स्वयं बैठकर पूजन करें और न ही देवी देवताओं की स्थापना करें।

5. लाल रंग की वस्तुएं माता को बहुत प्रिय हैं इसलिए माता को लाल फूल, लाल चूड़ियां, लाल बिंदी आदि जैसी चीज़ें अर्पित करें। इससे माता जल्द ही प्रसन्न होती हैं।

6. मंत्र जाप पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें और जाप करते वक्त शरीर को ज़्यादा हिलाए डुलाए नहीं बल्कि पवित्र मन से मंत्रों का उच्चारण करें।

7. कलश की स्थापना माता की प्रतिमा या चित्र की दायीं तरफ करें।

8. पूजा के स्थान पर स्वास्तिक ज़रूर बनाएं। घर के दरवाज़ों पर भी स्वास्तिक का निशान बनाने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर से वास्तुदोष दूर होता है।

 

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