सोमवती अमावस्या और पितृ विसर्जन का अद्भुत संयोग, पुण्य कमाने का दुर्लभ मौका

सोमवार 8 अक्टूबर को अमावस्या तिथि दोपहर के बाद होने से आज पितृपक्ष की अमावस्या का महत्व काफी बढ़ गया है। इसे सोमवती अमावस्या कहा जा रहा है। इस वर्ष सोमवती अमावस्या और पितृ विसर्जन एक ही दिन होना बहुत ही शुभ माना जा रहा है। आज सर्वपितृ श्राद्ध होने की वजह से महालया भी मनाया जा रहा है। जबकि 9 अक्टूबर को भी अमावस्या लगने की वजह से गज योग और नाना-नानी का श्राद्ध कल होगा और इस दिन भी महालया मनाया जा सकेगा। आइए जानें इस अवसर का आप कैसा लाभ प्राप्त कर सकते हैं और क्या है इसका महत्व।
सोमवती अमावस्या और पितृ विसर्जन का महाभारत काल से बड़ा महत्व माना गया है। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक है। इस दिन उन पूर्वजों के लिए भी पिंडदान किया जा सकता है, जिनकी मृत्यु की तिथि के बारे में जानकारी न हो और जिनकी अकाल मृत्यु हुई है।
सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं। पुराणों में बताया गया है कि इस दिन मौन व्रत रखने से गोदान के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। सोमवती अमावस्या के दिन शिवजी की आराधना करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या के दिन आपके घर कोई भिक्षक या फिर कोई गरीब आता है तो उसे खाली हाथ न जानें दें। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन पितृगण कोई भी रूप रखकर अपनी संतान के हाथ से अन्न, जल ग्रहण करने आ सकते हैं। इसलिए इस दिन ध्यान रहे कि आपके द्वार से कोई भी खाली हाथ न जाए।
इस दिन चावल के आटे, जौ के आटे और खोए से बने पिंड को दान करने से पूर्वजों की आत्मा को विशेष शांति की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में भगवान शिव और अग्रभाग में ब्रह्माजी का वास होता है। इस दिन पीपल के पूजन से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या के दिन व्रती महिलाओं को 108 बार तुलसी की परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।