हरतालिका तीज पर इन गलतियों को नहीं माफ़ करते शिवजी और माता पार्वती

भारत देश अपने सुंदर रीति रिवाज़ों और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां ढ़ेरों तीज त्योहार होते हैं जिनका कोई न कोई धार्मिक महत्त्व होता है और जिनके पीछे कुछ प्रेरित करने वाली कथाएं हैं। इस तरह के पर्व हमारे यहां साल भर देश के विभिन्न हिस्सों में मनाये जाते हैं। इन्हीं में से कुछ त्योहार ऐसे भी हैं जिनसे औरतों की ख़ास श्रद्धा जुड़ी हुई है और जो स्त्रियों का ही पर्व कहलाता है। इस त्योहार का नाम है तीज और यह भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है।
सुहागिन औरतों के लिए इस त्योहार का बड़ा ही महत्व होता है क्योंकि इस दिन वे निर्जल व्रत और पूजन कर ईश्वर से अपने पति के लिए अच्छी सेहत और लंबी आयु का वरदान मांगती हैं।
आइए इस शुभ और पवित्र मौके पर इस व्रत और पूजा से जुड़ी कुछ और बातों पर चर्चा करते हैं।
तीज का महत्व
तीज का उत्सव महिलाओं का है इसलिए उनके लिए यह व्रत और पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण है। तीज चार प्रकार की होती है। सबसे पहले आखा तीज होती है जो अप्रैल के महीने में आती है। आखा तीज को अक्षय तृतीया भी कहते हैं। दूसरा हरियाली तीज अगस्त के महीने में मनाया जाता है तीसरा होता है कजरी तीज जो हरियाली तीज के पंद्रह दिनों के बाद आता है और चौथा होता है हरतालिका तीज।
तीज का व्रत करने के लाभ
इस महान फल देने वाले व्रत और पूजा के पीछे की कहानी माता पार्वती और भोलेनाथ से जुड़ी हुई है। कहते हैं जब लाख कोशिशों के बाद भी शिव जी पति रूप में पार्वती जी को प्राप्त नहीं हुए तब माता ने पूरे 108 वर्षों तक इस कठिन व्रत को रखकर महादेव की उपासना की थी। इसलिए इस व्रत को कुंवारी लड़कियां मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए रखती हैं और सुहागिन औरतें अपनी पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। यह व्रत अच्छे और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
भादो माह की शुक्ल पक्ष तृतीया को हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। आपको बता दें इस बार हरतालिका तीज 12 सितंबर, 2018, बुधवार को है। हरतालिका तीज की तिथि 11 सितंबर शाम 6:04 मिनट पर शुरू होकर 12 सितंबर 4:07 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। पूजा का शुभ समय 12 सितंबर को सुबह 6:09 मिनट से शुरू होकर 8:36 मिनट तक रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत विधि
इस व्रत को रखने वाली महिलाओं को सबसे पहले ब्रह्मुहुर्त में उठकर (सुबह 4 से सुबह 6 के बीच में) स्नान कर लेना चाहिए। उसके बाद बालू से शिव जी और माता पार्वती की मूर्ति बनाकर स्थापित करनी चाहिए। फिर बेलपत्र, फूल दुब, अक्षत, रोली, चन्दन और श्रृंगार का पूरा सामान जैसे सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, मेहंदी आदि चढ़ाना चाहिए।
इस दिन औरतें निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन सुबह पूजा पाठ करने के बाद ही अपना व्रत कुछ मीठा खाकर ही खोलती हैं। इसके अलावा इस दिन महिलाएं रात भर जाग कर जागरण, भजन कीर्तन आदि भी करती हैं।
तीज पर भूल कर भी न करें ये गलतियां
1. क्रोध से बचना चाहिए।
2. पति से कलेश न करें, ऐसा करने से व्रत पूरा नहीं होता।
3. किसी गरीब या बुजुर्ग का अपमान न करें।
4. हरतालिका तीज पर रात को सोने की मनाही होती है इसलिए औरतें रात भर जाग कर नाचती गाती हैं।
5. व्रत के अगले दिन माता पार्वती को सूर्योदय के बाद सिंदूर चढ़ाकर ही अपना व्रत खोलें उससे पहले नहीं।
6. यदि आप हरतालिका तीज का व्रत रख रही हैं तो गलती से भी कुछ खाए पिए नहीं वरना अगले जन्म में आपको बंदर के रूप में आना पड़ेगा।
7. भूलकर भी दूध का सेवन न करें।