एक ही दिन में 3 सूर्य ग्रहण, ब्रह्माण्ड में होगी अलौकिक घटना

सूर्य अपना सबसे विचित्र रूप दिखाएगा. एक ही दिन तीन तरह के सूर्य ग्रहण होंगे. यानी आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार. इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं. ये घटना 100 साल में कुछ बार ही होती है.

नई दिल्ली. करीब चार महीने बाद सूर्य अपना सबसे विचित्र रूप दिखाएगा. एक ही दिन तीन तरह के सूर्य ग्रहण होंगे. यानी आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार. इसे हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहते हैं. ये घटना 100 साल में कुछ बार ही होती है. कुछ बार इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इसकी गणना कठिन होती है. इसलिए इस घटना की तय संख्या बता पाना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल होता है.

जब बात सूर्य ग्रहण की होती है तब तीन प्रकार के ग्रहण बताए जाते हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण… जो सबसे ज्यादा होता है. सबसे सामान्य सूर्य ग्रहण होता है ये. जब चंद्रमा सूर्य के किसी छोटे हिस्से के सामने आकर रोशनी रोकता है, तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है. दूसरा होता है कुंडलाकार सूर्य ग्रहण… यानी जब चंद्रमा सूर्य के बीचो-बीच आकर रोशनी रोकता है. तब चारों तरफ एक चमकदार रोशनी का गोला बनता है. इसे रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) कहते हैं.

तीसरा है पूर्ण सूर्य ग्रहण… यानी जब चंद्रमा पूरी तरह से सूरज को ढंक लेता है. सिर्फ सूरज के कोरोना की रोशनी ही दिखती है. इसे आप खुली आंखों से बिना किसी यंत्र के भी देख सकते हैं. लेकिन अब आपको बताते हैं चौथे प्रकार के सूर्य ग्रहण के बारे में… हाइब्रिड सूर्य ग्रहण (Hybrid Solar Eclipse) ऊपर बताए गए तीनों सूर्य ग्रहणों का मिश्रण होता है. यह सबसे दुर्लभ और विचित्र सूर्य ग्रहण माना जाता है. सबसे ज्यादा खूबसूरत और कम होने वाला ग्रहण.

क्या होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?

हाइब्रिड सूर्य ग्रहण असल में कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है. इसमें पहले कुंडलाकार सूर्य ग्रहण होता है, फिर पूर्ण सूर्य ग्रहण. इसके बाद यही प्रक्रिया पलट जाती है. इसलिए दुनियाभर के लोग एक ही समय अलग-अलग प्रकार के सूर्य ग्रहण देखेंगे. यानी अगर आप सूर्योदय या सूर्यास्त के समय हाइब्रिड सूर्य ग्रहण देख रहे हैं तो आपको हल्का सा रिंग ऑफ फायर यानी आग का छल्ला देखने को मिल सकता है.

आप हाइब्रिड सूर्य ग्रहण अगर दोपहर में देखने की कोशिश करेंगे तो आपको कोई एक चीज ही देखने को मिलेगी. चाहे कुंडलाकार सूर्य ग्रहण या फिर पूर्ण सूर्य ग्रह. वह पृथ्वी पर आपकी स्थिति पर निर्भर करेगा. आपको दोनों ग्रहण देखने को नहीं मिलेंगे. यानी आप हाइब्रिड सूर्य ग्रहण नहीं देख पाएंगे. बस ध्यान इस बात का रखना होगा कि किसी भी सूर्य ग्रहण को देखते समय आप उसे खुली आंखों से न देखें. काला चश्मा या फिर खास यंत्रों की मदद जरूर लें.

क्यों होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?

चंद्रमा लगातार पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता हैं. लेकिन वह हमेशा धरती से एक बराबर दूरी पर नहीं रहता. कभी थोड़ा दूर तो कभी नजदीक. इस कारण जब वह सूर्य और धरती के बीच आता है और पृथ्वी के इतना पास हो कि उसकी छाया से पृथ्वी का एक भूभाग पूरी तरह ढंक जाए तब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता हैं.

जब वह सूर्य और धरती के मध्य में आता है, लेकिन उसकी दूरी पृथ्वी से ज्यादा होती है, तब उसकी छाया छोटी होती है. ऐसे में कुंडलाकार सूर्य ग्रहण बनता है. लेकिन हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा की धरती से दूरी न ज्यादा होती है न कम. वह पृथ्वी से इतना दूर होता हैं जिससे उसकी छाया पृथ्वी के एक बहुत छोटे भूभाग या सतह पर खत्म होती हैं.

वहां से नया छाया क्षेत्र बनाते हुए चारो ओर फैलती है. ऐसे में छोटे छाया वाले हिस्से में पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है. लेकिन दूसरी तरफ जहां छाया फैल रही है, वहां कुंडलाकार सूर्य ग्रहण. यानी किनारों से सूर्य दिखता है. तब हाइब्रिड सूर्य ग्रहण होता है.

अगली बार कब होगा हाइब्रिड सूर्य ग्रहण

अगला हाइब्रिड सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को होगा. यह धरती के दक्षिणी गोलार्ध में दिखाई देगा. कुंडलाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण के प्वाइंट्स सुदूर समुद्र में हैं. इसलिए सबको यह दिखेगा नहीं.

पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक्समाउथ प्रायद्वीप पर एक मिनट दिखेगा. तिमोर लेस्टे में 1 मिनट 14 सेकेंड और वेस्ट पापुआ में 1 मिनट 9 सेकेंड. वह भी पूर्ण सूर्य ग्रहण के ठीक पहले और उसके ठीक बाद, जब बेलीज़ बीड्स (Baly’s Beads) बनते हैं.

बेलीज़ बीड्स अंग्रेज खगोलविद फ्रांसिस बेली के नाम पर रखा है. इन्होंने सबसे पहले 1800 में देखा था. यह सूरज की उस रोशनी का घेरा होता है, जो चंद्रमा की घाटियों से छन कर दिखाई देता है. इस समय सूरज एकदम नहीं दिखता, क्योंकि चंद्रमा उसके बराबर के आकार का दिखने लगता है. वह सूर्य की रोशनी को पूरी तरह से ढक लेता है.

कब-कब होता है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण

आमतौर पर हर साल दो से पांच सूर्य ग्रहण होते हैं. 21वीं सदी में सिर्फ 3.1 फीसदी सूर्य ग्रहण ही हाइब्रिड थे. यानी कुल 224 में सिर्फ 7 सूर्य ग्रहण ही हाइब्रिड थे. इससे पहले 3 नवंबर 2013 को हाइब्रिड सूर्य ग्रहण हुआ था. इसे अफ्रीकाई देशों के लोगों ने देखा था.

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