Navratri Kalash Sthapana : जानिए वास्तु के अनुसार कलश स्थापना के नियम

कलश स्थापना (Navratri Kalash Sthapana) करते समय सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाने का विधान है।

कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भर लें। ऐसा करने के बाद कलश (Navratri Kalash Sthapana) में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न, अक्षत व सिक्का डालें। इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछा लें और अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें। कलश का मुंह किसी चीज से ढक देना चाहिए। अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखना चाहिए। आइए जानते है वास्तुशास्त्र के अनुसार नवरात्रि के प्रमुख कार्य कैसे करें।

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  • वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा में घट स्थापना करना उचित रहता हैं।
  • माता की प्रतिमा की स्थापना भी उत्तर-पूर्व दिशा में ही करनी चाहिए क्योंकि वास्तुशास्त्र के अनुसार यह दिशा देवताओं की है।
  • माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं और इसका मुंह वास्तुशास्त्र के अनुसार पूर्व-दक्षिण दिशा में होना चाहिए।
  • अगर आप नवरात्रि में ध्वजा की स्थापना करते है तो इसे वास्तुशास्त्र के अनुसार घर की छत पर उत्तर-पश्चिम दिशा में करें।

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